Book Title: Paumchariu Part 3
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 325
________________ क०१०,४-९,११,१-९,१२,' उत्तरकण्डं-सत्तासीमो संधि [२६५ हा णाहत्थाणु समागयहँ सम्माणु करहि णरवर-सयहूँ ॥४ हा णाह पसण्ण-चितुं हवहि णिय-पियउ रुअन्तिउ संथवहि' ॥५ एत्थन्तरें तिणि वि आइयउ सुप्पह-सुमित्ति-अवराइयउ॥ ६ 'हा लक्खण पुत्त' भणन्तिय अप्पउ करयतेहिं हणन्तियउ ॥ ७ तिह आउ खणद्धे सत्तुहषु णिवडिउ हरि-चलणहिं विमण-मणु ॥ ८ ॥ ॥ घत्ता ॥ 'हा हा.भायरि णिय-मायरिउ धीरहि सोयाउण्णियउ। पइँ विणु धुवु.जायउ अजु महु दिसउ असेसउ सुणियउ' ॥ ९ [११] तो हरि-मायरि सुमित्ति रुअइ गुण सुमरेंवि गरुअ धाह मुअइ ॥ १ ॥ 'हा पुत्त पुत्त कहिँ गयउ तुहुँ हा थिउ विच्छायउ काइँ मुहु ॥ २ हा मइँ अस्थाणे-णिअच्छियउ एवहिँ जे चवन्तउ अच्छियउ ॥ ३ हा काइँ जाउ ऍउ अच्छरिउ जें महु णिल्लक्खण णामु किउ ॥ ४ हा पुत्त पुत्त सीयाहवहाँ किं मणे णिविण्णउँ राहवहाँ ॥ ५ एकेल्लउ छड्डेवि जेण गउ हा पुत्त अजुत्तउ एउ तउ' ॥६ एत्थन्तरें सुणेवि महाउसहिँ असहन्तेंहिँ दुहु लवणङ्कसहि ॥७ परियाणेवि जीविउ देहुँ चलु जयकारेंवि रामहों पय-जुअलु ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ गम्पिणु जिणहरु जहिँ अमियसरु णिवसइ मुणि भव-भय-हरणु । कइवय-कुमार-णरवरेंहिँ सहुँ वीहि मि लइयउ तव-चरणु ॥ ९ 20 [१२] लच्छीहर-मरणउ एकत्तहिँ लवणङ्कस-विओउ अण्णेत्तीहं ॥ १ . एक्केण जि खणेण मुच्छिजइ विहिँ दुहेहिँ पुणु किं पुच्छिजइ ॥२ भाइ णिऍवि परियड्डिय-'मलहरु पुणु वि पुणु वि धाहावइ हलहरु ॥ ३ 'हा-लक्खण लक्खण-लक्खकिय पेक्खु केम महु सुअ दिक्खकिय ॥४ 25 पइँ विणु को महु सहुँ गमु सन्धइ को सीहोयरु समरें णिवन्धइ ॥५ 2 Ps °r. 3 A °उं. 4 s अंधारउ. 5 P सुन्निअउं. __11. 1 P थियउ, s थिअउ. 2 A अच्च. 3 Ps सीराउहहो. 4 P °उं. 5 P s °ह. 64 लइउ तवच्चरणु. 12. 1 P A उ. 2 P एक्कु तहे. 3 Ps खणे खणे 4 P मुच्छिअई, s मुच्छियई. 5 P वि, s वि किं. 6 P मुच्छिअई, s पुच्छियइ. 7 A पारिअद्दिय. [१२] १ शोकः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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