Book Title: Paumchariu Part 3
Author(s): Swayambhudev, H C Bhayani
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
११, १-१०, १२, ६-१० ]
tray सुप' लक्खणेण परचुम्वेंवि मत्थऍ वार वार 'इहे सिय इहे सम्प्रय एउ रज्जु कुल - जायउ आयड़ मायरीउ पासाय एय अइ- सोहमाण आयइँ अवराइँ 'वि परिहरेवि हउँ तुम्ह णेह-वन्धर्णे णिउत्तु 'पडिवुत्तु कुमारेंहिँ 'काइँ एण मोक्कलि ताय मा होउ विग्घु
•
एम भणेपिणु स-रहसैंहिँ
पासें महब्वल- मुणिवरहँ
एत्तर्हे व ताम भामण्डलासु रहणेर-पुर-परमेसरासु कामिणि- मुह-पङ्कय-महुअरासु मन्दरणियम्व - कीलण -मणासु सिरिमालिणि-भज्जालङ्कियासु आहरण- विहूसिय- अवयवासु एक्कहिँ दिणें 'सिहि-उल-कय-वमालु कसणुज्जल-णव-घण-पिहिय-गयणु trata -थोर - खर-णीर-धारु
•
तेत्थु काले भामण्डलों मत्थऍ पड़िय तडत्ति तैडि
उत्तरकण्डं - छायासीमो संधि [२५५
[११]
अवलोऍवि पुणु पुणु तक्खणेण ॥ १ गग्गर - गिरेण पभणिय कुमार ॥ २ ऍहु सुर -तिय- समुपययणु मणोज्जु ॥ ३ आयउ सव्वह मि महत्तरीउ ॥ ४ कञ्चण- गिरिवर- सिहराणुमाण ॥ ५ किह वर्णे विसेसहँ दिक्ख लेवि ॥ ६ किं परिसेसेंवि सव्वहु मि जुत्तु ॥ ७ वहुए णिरत्यें जम्पिएण ॥ ८ सिज्झउ तव चरणं णिहाणु सिग्घु' ॥ ९
10
॥ घत्ता ॥
गम्पिणु महिन्दोधुय (?) णन्दण-वर्णे | लइय दिक्ख णीसेसहुँ तक्खणें ॥ १० [१२]
७
Jain Education International
विवो हामिय- आखण्डलासु ॥ १ णिणासिय सत्तु-णरेसरासु ॥ २ वर-भोगासत्तों मणहरासु ॥ ३ णिविसु वि अ- मुक्कु मुद्धङ्गणासु ॥ ४ मयगलहों व सु-मयङ्कियासु ॥ ५ अच्छन्तों सुर-लीलाऍ तासु ॥ ६ सम्पाइड वासारतु कालु ॥ ७ पयडिय - सुरचाउ अदि-तैवणु ॥ ८ चल - विज्जुल -कय- कुहन्धयारु ॥ ९
॥ घत्ता ॥
मन्दिर - सत्तम भूमि सेल-सिहरें णं पहरणु
11. 1 A इय 2PA°ए. 3Ps मु. 4PS परि 12. 1 A णिण्णामिय. 2PS भय. 3 A °C.
[११] १ सुकोशलादयरागतः - (?).
[१२] १ मेरुकटिनीषु २ मदेनालंकृतः ३ मयूरकुळः.
विद्युत्. ८ वज्रः.
For Private & Personal Use Only
कहों । सक्कों ॥। १०
5 Ps. 6 Ps°हो.
४ वर्षाकाले ५ सूर्यः ६ दिशाः
15
20
25
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388