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________________ 5 10 20 १४०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ णिद्दलिय - कुंम्भि कुम्भत्थला हुँ 25 भड-धड-गय-घडैहिँ भिडन्तऍहिँ 'रय - यिरु समुझित्ति किह ॥ घत्ता ॥ [ क० ११,९ - १०, १२, १-१०, १३, उच्छलिय-धवल-मुत्ताहलाहु ॥ ९ अह गरिन्द-कोवाणलेण उज्झन्ति । वह धूम - विच्छऍ धूमार्यन्ति ॥ १ अहवइ दी हर - धरणिन्द-णाले रण- मेsणि कण्णिय-सोहमाणें उच्छलिउ मन्दु मयरन्दु जाइँ उड्डुं वै समर-पड वा चुणु वारे व रणु विणं वि वलाहँ मइलेइ व वयणइँ णरवराहँ मज्जइ व मएण महा-गया हँ वीसमइ व छत्त-धऍहिँ चडेवि 15 रह-तुरयहिँ तुरिउ भिडन्तऍहिँ । णिय-कुलु मइलन्तु दु-पुत्तु जिह ॥ १० [१२] हरि-खुराहउ र समुच्छलिङ । गय-पय-भर- भारियऍ धरणाइँ णीसासु मेल्लिउ । अन्धयारु जीउ व्व मेल्लिउ अहव विमुच्छावियहें Jain Education International . जग-कमले दिसा मुह-दल-विसालें ॥ २ हरि-भर - ईखुर- विहडिज्जसाणें ॥ ३ - णिण व हों धरित्ति जाइ ॥ ४ णास व सो जें रहु तुरय-छण्णु ॥ ५ साइ देइ व वच्छ-त्थलाहँ ॥ ६ 10 "आइ व उप्परें रहवराहं ॥ ७ णञ्चइ व कण्ण-तालेहिं तावै ( ? हँ) ॥ ८ तव व गयणङ्गणे णिव्वडेवि ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ पसरन्तुट्ठन्तु महन्तु रउ लक्खिज्जइ कवि कव्वुर । महि-मड गिलन्तों स-रहसहों "णं केस भारु रण- रक्खसहों ॥। १० [१३] 'सो ण सन्दणुं सो ण मायडु | 'ण तुरङ्गमु ण वि य धउ णावत्तु जं उ कलङ्किङ । पर मिल आय हुँ चित्तु मइलेंविण सक्किउ ॥ 10 Ps कुंभ° 11 P ° घडेहि, s 'घडेहि. 12. 1P धूमावत्तिहें, S धूमावत्तिहि. 2P खुर', corrected as खुरहिं, s खुर° 3 Ps ° विहडिजमाणे. 4 A उड्ड. 5 Ps य. 6 Ps वाय° 7A चण्णु 8A च्ण्णु. 9PS विहि. 10 This pāda is wanting in P. 11 After this P marginally adds : अवरोपरो वुलहि सुहड जाव | 12 P 'दंतु, दुतु. 13 P कत्तुरउ. 14 This pada is wanting in A. 13. 1 These pādas are wanting in A, 2Ps णिम्मल. [११] १ धूलिसमूह. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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