SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क० १०, १-१०, ११, १-८] जुज्झकण्डं-चउसत्तरिमो संधि [१३९ गय-विहत्थु गय-रहवरु पमय-महद्धउ । __ विप्फुरन्तु किक्किन्धाहिउ सण्णद्धउ ॥१ अक्खोहणि-पञ्च-सऍहिँ समाणु सुग्गीवु णिऍवि सण्णज्झमाणु ॥२ भामण्डलु अक्खोहणि-सहासु • सणहेवि ढुक्कु लक्खणहों पासु ॥ ३ अङ्गङ्गय अक्खोहणि-सएण णल-णील ताहँ अद्धद्धएण ॥४ पडिवक्ख-लक्ख-संखोहणीहिँ - मारुइ चालीसक्खोहणीहिँ ॥५ तीसक्खोहणि-वलु अहिय-माणि रहें चडिउ विहीसणु सूल-पाणि ॥ ६ तीसहिँ दहिमुहुँ तीसहिँ महिन्दु वीसहिँ सुसेणु वीसहिँ जे कुन्दु ॥७ सोलहहिँ कुमुउ चउदहहिँ सङ्घ वारहहिँ गवउ अट्ठहिँ गवक्खु ॥८ चन्दोयर-सुउ सत्तहिँ सहाउ सुउ वालिहें तेहत्तरिहिँ आउ ॥९ ॥ ..॥ घत्ता ॥ सण्णहवि पासु दुक्कइँ वलहों अक्खोहणि-वीस-सयइँ वलहों । विरएवि वूहु संचल्लियइँ णं उवहि-मुहइँ उत्थल्लिय ि॥ १० [११] घुट्ट कलयलु दिण्ण रण-भेरि । चिन्धाइँ समुभियइँ लइय कवयं किय हेइ-सङ्गहँ । गय-घडउ पचोइयउ मुक्क तुरय वाहिय महारह ॥ राम-सेण्णु रण-रहसिउँ कहि मि ण माइउ । जगु गिलेवि णं पर-वलु गिलहुँ पधाईंउ ॥१ अभिट्ठ जुज्झु रोसिय-मणाहुँ रयणीयर-वाणर-लञ्छणाहुँ ॥२ ओरसिय-सङ्ख-सर्य-संघडाहुँ रणनहु-फेडाविय-मुहवडाहुँ ॥३ उद्धङ्कुस-धाइय-गय-घडाहु खर-पवणन्दोलिय-धयवडाहुँ ॥४ कम्पाविय-सयल-वसुन्धराहुँ रोसाविय-आसीविसहराहुँ॥५ मेल्लाविय-णयंण-हुवासणाहुँ संजलिय-दिसामुह-इन्धणाहुँ ॥ ६ जयलच्छि-बहुअ-गेण्हण-मणाहुँ जूराविय-सुरकामिणि-जणाहुँ ॥७ उग्गामिय:भामिय-असिवराहुँ णिव्वट्टिय-लोट्टिय-हयवराहुँ ॥८ 2 Ps सण्णज्झेवि, A सण्णहिवि. 3 s A अक्खोहिणि . 4 Ps °सखोह°, A °साखोह°. 5 PA_ हुं. 6 P S A हि. . __11. 1 PS A °इ. 2 A कवल.3 P °हे. 4 P S °सियउ. 5 Ps गिलइ. 6 P°इयड 7 A गय. 8 - मयण'. 9 P°हुं, A हु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy