SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८] सयम्भुकिउ पउर्मचरिउ अट्ठमु राहु-बयणु विकरालउ दसमऊ वयणु दसाणण-केरउ [क० ८, ८-१०; ९, १-१०; १०, णवमउ धूमकेउ धूमालउ ॥८ सव्व-जणहों भरा-दुक्ख-जणेरउ ॥९ ॥ घत्ता ॥ वहु-रूवउ वहु-सिरु वहु-वयणु बहुविह-कवोलु वहुविह-णयणु । वहु-कण्ठउ वहु-करु वि बहु-पउ णं णट्ट-पुरिसु रस-भाव-गउ ॥ १० तो णिएप्पिणु णिसियरिन्दस्स। . सीसइँ णयण' मुह पहरणाइँ रयणियर-भीसणु । आहरण वच्छ-यलु , राहवेण पुच्छिउ विहीसणु ॥ _ 'किं तिकूड-सेलोवरि दीसइ णव-घणु। 'देव देव णं णं ऍहु रहें थिउ रावणु' ॥१ 'किं गिरि-सिहर' णहें दीसिराइँ' 'णं णं आये दससिर-सिराइँ' ॥२ 'किं पलय-दिवायर-मण्डलाइँ' ‘णं णं आयइँ मणि-कुण्डलाई ॥३ 'किं कुवलयाइँ माणस-सरहाँ 'णं णं णयणइँ लड्डेसरहाँ ॥४ Is 'किं गिरि-कन्दरइँ भयाणणाइँ' 'णं णं दहवयण दसाणणाई' ॥५ 'किं सुर-चावइँ चावुत्त॑माई 'णं णं कण्ठाहरणइँ इमाई॥६ 'किं तारा-यणइँ तणुजलाई 'णं णं धवलइँ मुत्ताहलाई॥७ 'किं कसणु विहीसण गयण-यलु' "णं णं लङ्काहिव-वच्छयलु'॥८ 'किं 'दिस-वेयण्ड-सोण्ड-पयरो' ‘णं णं दहकन्धर-कर-णियरो' ॥९ ॥ धत्ता ॥ तं वयणु सुणेप्पिणु लक्खणेण लोयण' 'विरिलेवि तक्खणेण । अवलोइउ रावणु मच्छरण : णं रासि-गएण सणिच्छरेण ॥ १० [१०] करें करेप्पिणु सायरावत्तु । ___थिउ लक्खणु गरुड-रहें गारुडत्थु गारुड-महद्धउ । वलु वजावत्त-धरु सीह-चिन्धु वर-सीह-सन्दणु ॥ 12 P S A °सिर. 13 A विहु. 9.1 A सीसाइं. 2 PS रयणीयर, A कारणिपर". 3 P S A णहि. 4 S A दीसराई (S°इ). 5 P SA °इ. 6 P चावुत्ति', s चाउत्ति. 7 This pāda is wanting in A. ____10. 1 A दीह. [९] १ दिग्गज. २ विस्तार्य्यपि(?). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy