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तुम पकड़े ही गए हो ! हो सकता है कभी किसी ने तुम्हें पकड़ा न हो और किसी न्यायालय ने तुम्हें कभी सजा न दी हो और कहीं कोई पारलौकिक न्यायालय नहीं है - लेकिन फिर भी तुम पकड़े गए हो। तुम स्वयं के द्वारा ही पकड़े गए हो। इसे कैसे भूल पाओगे तुम? कैसे तुम क्षमा करोगे स्वयं को ? कैसे तुम उस बात को अनकिया कर दोगे जिसे कि तुमने किया है? वह तुम्हारे चारों ओर छाई रहेगी। यह बात छाया की भांति तुम्हारा पीछा करेगी। किसी प्रेत की भांति यह तुम्हारे पीछे पड़ी रहेगी। यह स्वयं ही एक सजा है।
सकता। लेकिन चोरी करना या उसके उसके बारे में सोचना एक ही बात है कर ही दी है – यदि तुमने उसके बारे लिया, यदि चरित्र वहा न होता तो वह बात कृत्य बन गई होती।
तो चरित्र तुम्हें गलत बातें करने से रोकता है, लेकिन वह तुम्हें उनके बारे में सोचने से नहीं रोक बारे में सोचना एक ही बात है सचमुच हत्या कर देना और क्योंकि जहां तक तुम्हारी चेतना का प्रश्न है तुमने वह बात में सोचा है वह कृत्य न बनी क्योंकि चरित्र ने तुम्हें रोक
तो असल में चरित्र ज्यादा से ज्यादा यही करता है: वह रोक लगा देता है विचार पर; वह उसे कृत्य मैं नहीं बदलने देता। यह समाज के लिए ठीक है, लेकिन तुम्हारे लिए जरा भी ठीक नहीं है। यह समाज की सुरक्षा करता है; तुम्हारा चरित्र समाज की सुरक्षा करता है तुम्हारा चरित्र दूसरों की सुरक्षा करता है, बस इतना ही। इसीलिए प्रत्येक समाज जोर देता है चरित्र पर नैतिकता पर ऐसी ही चीजों पर; लेकिन वह तुम्हारी सुरक्षा नहीं करता।
तुम्हारी सुरक्षा केवल होश में हो सकती है और यह होश कैसे पाया जाता है? दूसरा कोई रास्ता नहीं सिवाय इसके किं जीवन को उसकी समग्रता में जीया जाए।
'द्रष्टा को अनुभव उपलब्ध हो तथा अंततः मुक्ति फलित हो, इस हेतु यह होता है।'
'दृश्य, जो कि प्राकृतिक तत्वों से और इंद्रियों से संघटित होता है, उसका स्वभाव होता है..।'
तीन गुण योग तीन गुणों में विश्वास करता है. सत्य, रजस, तमस सत्व वह गुण हैं जो चीजों को स्थिर बनाता है, रजस वह गुण है जो सक्रियता देता है; और तमस का गुणधर्म है अक्रिया। ये तीन आधारभूत गुण हैं। इन तीनों के द्वारा यह सारा संसार अस्तित्व में है। यह है योग की त्रिमूर्ति ।
अब भौतिकशास्त्री भी योग के साथ राजी होने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने परमाणु को तोड़ लिया है और उन्हें पता चला है तीन चीजों का इलेक्ट्रान, न्यूट्रान, प्रोट्रान ये तीनों वही तीन गुण हैं एक की गुणवता है प्रकाश की सत्व, स्थिरता, दूसरे की गुणवत्ता है रजस की क्रिया, ऊर्जा, शक्ति, और तीसरे की गुणवत्ता है अक्रिया की तमस सारा संसार बना है इन तीन गुणों से और इन तीन गुणों से - गुजरना पड़ता है सजग व्यक्ति को । उसे अनुभव लेना होता है इन तीनों गुणों का। और यदि तुम
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उनको एक लयबद्धता में अनुभव करते हो, जो कि वास्तविक अनुशासन है योग का ..... ।