Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ पाटण. प्रस्तुत परिवाडो जेना नाम साथे बंधायेली छे, ते पाटण नगरनो आ स्थले संक्षेपमा परिचय आपवो उपयोगी गणाशे. ___पाटण' ए गुजरातदेशनी राजधानी-हिन्दुस्थानना प्रा. चीन अने प्रसिद्ध शहेरोमांनुं एक छे, एतुं वास्तुस्थापन जैन मंत्रोथी थयुं हतुं, एनो वसावनार 'वनराज' नामनो चावडावंशनो एक बाहोश शूरवीर राजपुत्र हतो, ते नागे. न्द्रगच्छना जैन आचार्य शीलगुणसूरिनो परम भक्त जैन उपासक हतो'. वनराज पोते, तेना राजकारभारियोनुं मंडल अने तेनी प्रजानो अधिक भाग जैनधर्मी होइ पाटण शहेर ए ते वखतमां गुजरातना जैनोना धार्मिक साम्राज्यनी राजधानी बनी १ वनराजने बाल्यकालमा ज उक्त शीलगुगरिए आसरो दीधो हतो, तेथी कृतज्ञ प्रकृतिना वनराजे पाछळथी पोते राजा थतां जैनधर्मनी कीमती सेवा बजावी हती, एटलं ज नहि बलके पाटगमा नामी जैन मंदिर बनावरावी पोतानी कीर्तिने विशेष अमर करी हती. वनराजनुं बनावेलुं आ 'वनराजविहार' नामर्नु चैत्य सं. १३०१ मां विद्यमान हतुं ए वात नीचेना शिलालेख उपरथी जणाशेः “ संवत् १३०१ वर्षे वैशाख शुदि ९ शुक्रे पूर्वमण्डलिवास्तव्य मोढज्ञातीय नागेन्द्रा.........सुत श्रे० जाल्हणपुत्रेग श्रे० राजकुाक्षShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134