Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library
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८८
कुमरगिरि जिन शांति नमुंए । महिमा ए२ जिनतणउहोइ तु । वाणीइ अमृतसम भणी ए परतर २ चैत्य विशाल तु ।
॥ कुमरगिरि जिन शांति नमुंए । त्रूटक । नमुं शांति नवइ जिनवर । भमतीइं पंचास थुणउं । पोसालमांहि चैत्य निरूपम । शांतिजिणवर तिहां भणउं । छत्रीस बिंब अवर नमीइ । गभारइ ते मुख करू । पीतल-पडिमा च्यारि सई वली। छ, उपरि मनहरू ॥८४॥ सोलम जिनवर वंदीइ ए । वावडी २ जिनवर सार तु । अढारइ पडिमा सुंदरू ए । वडलीय २षरतरचैत्य तु ।
॥सोलम जिनवर वंदीए ए॥टक ॥ वंदीइ ते सोलम जनवर । च्यालीस पडिमा जागी । श्री जिनदत्तमरी महिमा पूरइ । जगत्रमांहि वषाणीइ । श्री वीरचैत्य वंदउ नित्यइं । मूरति अतिसोहामणी। नगीनानइ चैत्य आवी । पार्थजिन सात ज भणी ॥ ८५ ॥ नवइ नगीनइ आवीइ ए । पेषोइ २ श्री जिनशांति तु । पंचतालीस मूरति पूजीइ ए। पूजतां २ आणंद होइ तु ॥
नवइ नगीनइ आवीइ ए ॥ त्रूटक ॥ नगीनइ ते नवइ आवी । बहुत्तरि जिणालं निरषोइ । त्रण मूरति अवर पेखी । सूधउ समकित परषीइ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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