Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library
View full book text
________________
११५
वस्तु वडहनरइ वडहनरइ आदि पहु वीर, जीवतसामिय लेपमए, कणयवन्न पादुका रयण, वालउ वेउल मालतिय, पमुह फुलतोडर रएवि। कुंकुम चंदन मद नविय, पूज रचावउ भंगि। भावन भावउ विवहपरि, जगगुरु आगलि रंगि ॥ १७ ॥ वीसलनयरई आदि वीर, मणबंछिय सुरवर। महिसाणे पहु पास संति, सिरि आदि सुमतिवर ॥१८॥ जोटाणइ पहु पासनाह, सिरि सुमति जिणेसर । सुंआलइ सिरि नेमिदेव, भवभय वणकुंजर ॥ १९ ॥ वीरमगामइ सुमति संति, जांबू मुनिसुव्रत । टोटरगामइ पासनाह, बहु लोयां सम्मत ।। २० ॥ मोइका सिरिआदिनाह, रंगपुरिं पहु पासो । धंधुकइ सिरिपंच संति, वंदउ वलि पासो ॥ २१ ॥
वलहनयरि वलहनयरि संति जिणराउ, चम्मारिपुरि संतिजिण, भवियलोभ लोयण निसायर, पालिअताणइ पासपहो, विहिय सेव सुर असुर किन्नर ॥ ललियसरोवर हरखभरि, सामिय वीर नमेश । अंग पखालिं विमल लि, पावपंक टालेसी॥ १२ ॥ गहगहंत दिव गिरि चडिय, पाजइ परमाणंद।। दह दिसि पसरिय विवह परे, सिंदवार मचकुंद ॥२३॥ कोइल करइ टहूकडा ए, विहसिय सुह वणराय । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134