Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library
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छत्रीस प्रतिमा तिहां वंदो, नमे जास पुरंदरु । बसे छासठ १ मल्लिजिनवर, मल्लिनाथपाडे मुदा । बावन जिन ने बावन प्रतिमा, वंदीए ते सर्वदा ॥ ५ ॥ लखीयारवाडे रे मोहनपास महिमा घणो बिंब त्रणसे रे एकोत्तर तिहां कण गणो । सीमंधर रे स्वामी प्रासाद बासठ जिना । बिंब तेरसुं रे, संभव सेवो एकमना ॥ ६॥ एकमना सेवो सुमति जिनवर, साठ प्रतिमा सोहती। आठ उपरे न्यायसेठने पाडे, जनमन मोहती ॥७॥ चोखावटीए शांतिजिनवर, छेतालीस बिंब अलंकर्या । दोढसो जिन सुबलीए पाडे, रिषभजिन जग जय वर्या ॥८॥
॥ ढाल ॥४॥ अबजीमहेताने पाडे शीतलनाथ, प्रतिमा सडतालीस । प्रतिमा दोए शान्तिनाथ । कोसंबीयापाडे शीतलबिंब अढार, श्रीपासजिणेसर बीजे देहरे जुहार ॥
१ बासठ ' एवो पण पाठ छे.
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