Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library
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नारिंगपुर वर पास, जागतो महिमा जास । दोसत बिंब भलाए, पणयालीस गुण निलाए ॥ २ ॥ भेडा वाडामांही, शान्ति नमुं उछांही । पंचसत जीनवरुए, एकोत्ररे उपरे ए ॥ ३ ॥ तंबोली वाडा मझार, सुपास नमुं सुखकार ! एकसो त्रीस सदाए, प्रणमुं जिन मुदाए ॥ ४॥ कुंभारीए आदिनाथ, प्रतिमा एकाशी साथ । देहरे कोरणीए, तिहां प्रतिमा घणी ए ॥ ५ ॥ सोल प्रतिमा सुखकंद, शान्तिनाथ निणंद | मांका महिता तणे ए, पाडे सोहामणे ए ॥ ६ ॥ मणीयादी महावीर, मेरुतणी परे धीर ।
चालीस बिंबसुं ए, प्रणमुं भावसुं ए ॥ ७ ॥ तीर्थ अनोपम एह, मुज मन अधिक सनेह | दीठे उपजेए, संपदा संपजे ए ॥ ८ ॥
ढाल ॥ ३ ॥
पखालीए रे सेवो श्री शान्तिनाथरे ।
हुं वंदु रे प्रतिमा तेत्रीश' साथ रे ।
१ ' तेवीस ' एवो पण पाठान्तरं छे.
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