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नामनिवासोमातिमाओनीनां तम
परिवाडीनो परिचय. प्रस्तुत चैत्य परिवाडी कविता-साहित्यमी दृष्टिए विशेष उपयोगी न होवा छतां पुरातत्त्वनी दृष्टिए घणी उपयोगी छे, परिवाडीकारे ते समयनां पाटणनां तमाम जैनमंदिरोनां नाम, तेमा रहेली प्रतिमाओनी संख्या, तेना बनावनारानां नाम, जे जे वासोमा जे जे चैत्यो आवेलां छे ते ते वासोनो नाम निर्देश इत्यादि हकीकतो जणावधानो जे महान् परिश्रम उठान्यो छे ते आपणे माटे घणो उपयोगी निवड्यो छे, आजथी सवा त्रणसो वर्ष उपर पाटणमा केटलां देहरां हतां, ते सर्वमा केटली प्रतिमाओ हती, देहरा बनावनारा शेठिआओनां शां शां नामो हतां, ते वेलाना पाटणना भाविक जैन गृहस्थोमां धर्मश्रद्धा केवी होची जोइये,साथे ज तेमनी पासे द्रव्यबल पण केरलुं होवु जोइये इत्यादि अनेक वातीनां साचां अनुमानो करवाजें आ चैत्यपरिवाडी उप. रथी बनी शके तेम छे.
चैत्यपरिबाडी-यात्रानो साचे साचो ढंग लेखके आ परिवाडीमां गोठव्यो छे, जाणे के पोते संघनी साथे नग. रनी चैत्ययात्रा करवा निकल्या छे अने क्रमवार वच्चे आवतां तमाम देहरांओने वांदता जाय छे. संघ जे वासमां जाय छे ते वासनु नाम पोते प्रथम सूचवे छे, पछी तेमां केटलां देहरां छे तेनी संख्या जणावे छे, पछी मूलनायकोनां नाम अने छल्ले तेमांनी प्रतिमाओनी संख्या, आ ढंग लेखके लगभग आखी परिवाडीमां जालवी राख्यो छे, पण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com