Book Title: Patan Chaitya Paripati
Author(s): Kalyanvijay
Publisher: Hansvijayji Jain Free Library
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सहा धर्मसी देहरासरि धुणुं ए। चंद्रप्रभा जिनवर स्वामि तु । सतालीस पडिमा बंदीइ ए । शवजी संघवी ठामि तु ॥ १७॥ पू० शिवादेवी नंदन चरचीइ ए । पडिमा चोंद उदार तु । रयणमय पडिमा च्यारिभणीइ ए। तेजतणउ नही पार तुा १८५० पारषि सारंग शांतिजिन् ए । अठतालीस बिंब न होइ तु । सहा कमा घरि आवीर ए । शांति जिणेसर जोइ तु ॥ १९ ॥ पू सतालीस पडिमा जुहारीइ ए । पट बि तिहां विचारि तु । रयणमय पडिमा च्यारि कही ए । रूप्पमय एक ज सार तु||२०पू०
॥ नाचइ इंद्र आणंदस्युं ढाल ॥ १४ ॥ बंभणवाss आवs | वुहरा वीरदासनइ गेह रे । वासुपूज्य जिन पूजीइ । जिन चडवीस सुदेहरे ॥२१॥ गाव २ जिनवर गुणि भरया । पामउ २ सुक्ख विशाल रे । मनमोहन जिन दीठडइ । हईडइ हरिष रशाल रे ॥ आंकणी ॥ रयणमय पडिमा इक नमी । हीरा विसा घरि जेह रे । शांतिजिणेसर दस वली । दीठइ निरमल देह रे ||२२|| गावु०॥ सहिस् संघवी घरि भणउं । मृगलंछन जिनराय रे । छ जिनवर अवर नम्या । हस्ती चित्र सुठाय रे ||२३|| गा० ॥ वीर जिणेसर देहरइ । पूज्या त्रिसला पूत्र रे ।
च्यारि पडिमा अवर नमी । हीरजी घरि पहूत रे ॥ २४गाबु० ॥
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