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प्रस्तावना
"ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया" अर्थात् 'पश्चिमी भारत की यात्रा' कर्नल जेम्स टॉड कृत दूसरा ग्रंथ है जो उसकी मृत्यु के कोई चार वर्ष बाद सन् १८३६ ई० में ही प्रकाशित हुना था । अपने संसार - प्रसिद्ध प्रथम ग्रंथ ' एनल्स् एण्ड एंटिक्विटीज़ ऑफ़ राजस्थान' ( जो 'टॉड - राजस्थान' के नाम से अधिक सुज्ञात है ) के दूसरे खण्ड को सन् १८३२ ई० में प्रकाशित करने के बाद टॉड ने अपने इस दूसरे ग्रंथ को हाथ में लिया । स्वास्थ्य सुधार के लिये सन् १८३४ ई० में जब उसे यूरोप की यात्रा करनी पड़ी, तब सरदी के मौसम में कई माह तक वह रोम में रहा और वहाँ उसने इस यात्रा विवरण का अधिकतर भाग लिखा । सितम्बर ३, १८३५ ई० को वह वापस इंगलैंड लौट आया और कुछ समय बाद --- जब वह अपनी माता से भेंट करने हेमशायर गया तब वहाँ उसने इस ग्रंथ के अन्तिम प्रकरण लिखे । यों टॉड ने मूल ग्रंथ पूरा ही लिख कर तैयार कर दिया था । यत्र-तत्र कुछ पाद-टिप्पणियाँ जोड़ना, कुछ परिशिष्टों का चयन तथा ग्रंथ की भूमिका ही लिखनी बाकी रह गई थीं। इस ग्रंथ को छपवाने के लिये लन्दन - निवास अत्यावश्यक जान कर उसने रीजेण्ट पार्क में एक मकान खरीद लिया था, तथा वहाँ स्थायी तौर से रहने के लिये नवम्बर १४, १८३५ ई० को वह लन्दन चला आया । इस समय वह अधिक स्वस्थ देख पड़ रहा था और अपने इस दूसरे ग्रंथ को छपवाने का उसे पूर्ण उत्साह था जिससे यह श्राशा बंधने लगी थी कि अब टॉड अवश्य ही पूर्ण स्वास्थ्य लाभ कर लेगा । परन्तु तीसरे दिन ही यह श्राशा पूर्ण निराशा में परिणत हो गई। सोमवार, नवम्बर १६, १८३५ ई० के दिन वह लोम्बार्ड स्ट्रीट में अपने साहूकार मेसर्स राबर्ट्स एण्ड कम्पनी में कार्यवशात् गया था, तब वहीं उसे एकाएक मिरगी का दौरा हो गया और कोई पंद्रह मिनिट में ही उसकी जबान बन्द हो गयी । कोई सत्ताईस घण्टे तक बेहोश रहने के बाद नवम्बर १७, १८३५ ई० के दिन उसकी मृत्यु हो गई । तब उसकी अवस्था साढ़े तिरपन वर्ष की थी।
कोई चार वर्ष बाद सन् १८३६ ई० में लन्दन की ७, लेडनहॉल स्ट्रीट में स्थित विलियम एच्० एलन एण्ड कम्पनी ने इस ग्रंथ को यथावत् प्रकाशित किया । प्रकाशक ने उसके साथ टॉड सम्बन्धी परिचय-वृत्त भी जोड़ दिया । इस
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