Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् पाद
०८ रत्ती चांदी का सिक्का। त्रिमाण
०६ रत्ती चांदी का सिक्का। द्विमाष
०४ रत्ती चांदी का सिक्का । माष
०२ रत्ती चांदी का सिक्का। अर्धमाष
०१ रत्ती चांदी का सिक्का। काकणी (कात्यायन १/२ रत्ती चांदी का सिक्का।
वार्तिक सूत्र ५।१।३३)। ९. अर्धकाकणी
१/४ रत्ती चांदी का सिक्का। विशेष :- माष चांदी और ताम्बे का सिक्का था। चांदी का रौप्य माष २ रत्ती का और ताम्बे का माष ५ रत्ती का होता था। १०. विंशतिक
२० माष का कार्षापण (विशेष)।
१६ माष का कार्षापण (सामान्य)। ११. रूप्य
नान्दी बैल आदि के रूपों से आहत (युक्त) कार्षापण।
(८) रजत की आहत मुद्रायें शतमान
१०० रत्ती का चांदी का सिक्का। २. अर्धशतमान
५० रत्ती का चांदी का सिक्का। पाद शतमान
२५.०० रत्ती का चांदी का सिक्का। ४. पादार्धशतमान १२.०६ रत्ती का चांदी का सिक्का।
(६) मुद्रा की क्रयशक्ति पाणिनि-काल में एक कार्षापण (३२ रत्ती चांदी का सिक्का) से पांच गोणी अर्थात् १२ मण ३२ सेर अन्न खरीदा जा सकता था। इस गणना से उस काल में प्रचलित छोटे सिक्कों की क्रय-शक्ति का अनुमान इस प्रकार किया जा सकता हैसिक्का तोल
अन्न-क्रय १. कार्षापण ३२ रत्ती चांदी (सिक्का) १२ मण ३२ सेर। माष
०२ रत्ती चांदी (सिक्का) ३२ सेर २० तोला। ३. अर्धभाष
०१ रत्ती चांदी (सिक्का) १६ सेर १० तोला। काकणी १/२ रत्ती चांदी (सिक्का) ८ सेर ५ तोला। ५. अर्धकाकणी १/४ रत्ती चांदी (सिक्का) ४ सेर ढाई तोला।
विशेष :- यह उपरिलिखित विवरण डा० वासुदेवशरण अग्रवाल कृत 'पाणिनि कालीन भारतवर्ष' के आधार पर लिखा है और पाणिनि कालीन भूगोल के चित्र उसी ग्रन्थ से संकलित किये हैं तदर्थ हम उनके अत्यन्त आभारी हैं।
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