Book Title: Panchlingiprakaranam
Author(s): Hemlata Beliya
Publisher: Vimal Sudarshan Chandra Parmarthik Jain Trust

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Page 8
________________ VI: प्रकाशकीय पारिभाषिक शब्दावली व संदर्भग्रंथ सूची आदि परिशिष्टों से इस पुस्तक की उपयोगिता में कई गुणा वृद्धि हुई है । ग्रंथ के कलेवर के हिन्दी भाग में प्राकृत गाथाओं की संस्कृतछाया, हिन्दी पद्यानुवाद व हिन्दी गद्यानुवाद दिया गया है, तथा आंग्ल भाग में प्राकृत गाथाओं व संस्कृतछाया का रोमन लिप्यांतर, आंग्ल पद्यानुवाद तथा आंग्ल गद्यानुवाद दिये गए हैं जिससे यह पुस्तक हिन्दी व आंग्ल भाषाओ के जानकार तथा सभी प्रकार की रुचियों वाले पाठकों के लिये रुचिकर होगी ऐसी आशा करते हैं । इस पुस्तक के प्रकाशन की वेला में हम अपने गुरुजनों : चारित्र चक्रवर्ती परम पूज्य तपागच्छाधिपति आचार्य श्री विजय रामसूरीश्वरजी म.सा. (डहेलावाला) का पुण्य स्मरण करते हैं तथा प. पू. गुरुणीवर्या साध्वीजी श्री सुदर्शनाश्रीजी म.सा. का आभार मानते हैं जिनके मार्गदर्शन से ही ऐसे पुण्यकार्य सम्पन्न होते हैं । हम इस ग्रंथ के प्रकाशन में अत्यंत उदारतापूर्वक अर्थसहयोग करने वाले कोलकाता के श्री गुजराती जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ का भी धन्यवाद करना अपना कर्तव्य समझते हैं। अंत में हम शुभ संकल्प, उदयपुर के आभारी हैं कि उन्होंने अल्प समय में ही इस पुस्तक की सुन्दर व सुरुचिपूण टाईपसेटिंग की है, तथा मे. चौधरी ऑफसेट प्रा. लि., उदयपुर का भी आभार प्रदर्शित करते हैं जिन्होने इस ग्रंथ को अल्प समय में ही इतने सुंदर रूप में मुद्रित किया हैं । दौलतसिंह गांधी अध्यक्ष बी. एल. सचिव दोशी

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