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आचार्य हरिभद्र के इस पंचाशकप्रकरण का हिन्दी अनुवाद भी पूर्व में उपलब्ध नहीं था, मात्र प्राकृत गाथायें और उन पर नवांगी टीकाकार अभयदेवसूरि की वृत्ति उपलब्ध होती थी, संयोग से अभी कुछ वर्ष पूर्व यह ग्रन्थ डॉ. दीनानाथ शर्मा द्वारा अनुवादित एवं डॉ. सागरमल जैन द्वारा सम्पादित होकर हिन्दी अनुवाद सहित पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्रकाशित हुआ है। जब मुझे डॉ. सागरमल जैन से यह ज्ञात हुआ कि पंचाशकप्रकरण पर अभी तक कोई भी शोध कार्य नहीं हुआ, तो मैंने यह निर्णय लिया कि पंचाशकप्रकरण पर शोध कार्य किया जावे। इस पंचाशक प्रकरण में मूलतः निम्न 19 विषयों की चर्चा है - ___ 1. श्रावक धर्म विधि 2. जिन दीक्षा विधि
चैत्यवन्दन विधि 4. पूजा विधि
प्रत्याख्यान विधि स्तवविधि जिन भवन निर्माण विधि
जिन बिम्ब प्रतिष्ठा विधि 9. जिन यात्रा विधि 10. उपासक प्रतिमा विधि 11. साधु धर्म विधि 12. साधु समाचारी विधि 13. पिण्ड विधान विधि 14. शीलांगविधान विधि
आलोचना विधि 16. प्रायश्चित विधि
कल्प विधि 18. भिक्षु प्रतिमा कल्प विधि 19. तप विधि
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