Book Title: Panch sutrakam with Tika Author(s): Chirantanacharya, Haribhadrasuri, Jambuvijay, Dharmachandvijay, V M Kulkarni Publisher: B L Institute of IndologyPage 45
________________ मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ही नैनसाहित्यसंशोधक, खण्ड १, पुना जैनआत्मानंदसभा, भावनगर प्रशमरतिः उमास्वातिवाचकविरचिता पुद्धचरितम् अश्वघोषविरचितम् बृहटिप्पनिका बृहत्संग्रहणी जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचिता बहत्संग्रहणीटीका मलयगिरिसूरिविरचिता भगवतीसूत्रम् भगवतीसूत्रटीका अभयदेवसूरिविरचिता भगवद्गीता योगदृष्टिसमुच्चयः हारिभद्रयोगभारत्यन्तर्गतः] ___ योगदृष्टिसमुच्चयटीका स्वोपज्ञा आगमोदयसमितिः दिव्यदर्शनट्रस्ट, मुंबई योगबिन्दुः जैनसाहित्यविकासमंडल, मुंबई दिव्यदर्शनकार्यालय हसविजय जैन लायब्रेरी, वडोदरा . दिव्यदर्शनट्रस्ट जैन आत्मानन्दसभा, भावनगर जैनज्ञानप्रसारकमंडल, मुंबई योगबिन्दुटीका योगशतकम् योगशतकटीका स्वोपज्ञा योगशास्त्रम् योगशास्त्रटीका स्वोपज्ञा ललितविस्तरा ललितविस्तरापञ्जिका मुनिचन्द्रसूरिविरचिता लोकतत्त्वनिर्णयः हरिभद्रसूरिविरचितः विशेषावश्यकभाष्यं जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचितम् वीतरागस्तोत्रम् श्रावकप्राप्तिः श्रावकप्रक्षप्तिटीका हरिभद्रसूरिविरचिता श्वेताश्वतरोपनिषत् षोडशकप्रकरणम् आचार्यहरिभद्रसूरिविरचितम् सन्मतितर्कः सिद्धसेन दिवाकरप्रणीतः सन्मतिवृत्तिः अभयदेवसूरिविरचिता , दर्शनसूरिविरचिता सिद्धहेमबृहद्वृत्तिः । सिद्धान्तकौमुदी पाणिनीयव्याकरणटीका सुश्रुतसंहिता सौन्दरनन्दं बौद्धाचार्याश्वघोषविरचितं काव्यम् स्थानाङ्गसूत्रम् स्थानावृत्तिः अभयदेवसूरिविरचिता स्थाद्वादमञ्जरी निर्णयसागर प्रेस, मुंबई गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद मद्रास निर्णयसागर प्रेस, मुंबई मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ही Bombay Sanskrit and Prakrit Series 83. 1933 A. D. पू-पृष्ठम् । पं०-पक्तिः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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