Book Title: Panch sutrakam with Tika
Author(s): Chirantanacharya, Haribhadrasuri, Jambuvijay, Dharmachandvijay, V M Kulkarni
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 164
________________ १०२ द्वितीयं परिशिष्टम् । २० MGAR » सहजाए सहावसंठिए सहियं साइअपज्जवसियं साणुबंध सामण्णस्स सावगाणं सावज्जजोगविरया साहइ साहुकिरियं साहुणीसु साहुधम्म साहुधम्मपरिभावणासुत्तं م س mmu ०. Mmm No m .ur.www mmm wwwdwo mm"No mr mar Vo ع م م م م साहू م س م ه م सुगुरुसमीवे सुणमाणस्स सुत्तप्पयाणं सुत्तत्तकारी सुद्धगं सुद्धधम्मसंपत्ती सुद्धधम्मस्स सुद्धासया सुपुरिसोचियं सुप्पउत्तावस्सगे सुप्पणिहाणं सुप्पणिहाणाइहेऊ सुरासुरमणुयपूइओ सुरूवाइकप्पं सुविणे सुविसुद्धनिमित्ते सुविहिभावओ सुवेज्जवयणेण सुस्सूसाइगुणजुत्ते सुहकम्माणुबंधा सुहकायजोगे सुहजोगसिद्धी सुहजोगे सुहपरिणाम सुहपक्त्तगे सुहभावबीयं सुहम सुहलेस्साए सुहाणुबंधा सुहावणिज्जे सुहोदए सेवारिहे हरिसं हियतरं हियपवित्त हियमियभासगे हेउफलभावो होउकामेणं م م mm M"Numm"""1005000530"। س ي साहूसू सिज्झइ सिढीलीभवंति सिद्धमावं सिद्धभावस्स सिद्धसुक्खं सिद्धा सिद्धाणं सिद्धि सिद्धिकंखिणा सिद्धिपुरवासी सिद्धेसु सिराखाराइजोगे पिवं सिवफलस्स सिसुजणणिचायनाएण सुकडासेवणं सुकिरियं सुकिरिया सुक्कपक्खिगे सुक्काभिजाई م م س سع س م م م ५४, ५५ ه م و مر सुक्के सुंदराओ सुगुरुवयणेण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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