Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 13
________________ पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक ... xi दिनकर के अतिरिक्त इस विषयक और दूसरे ग्रन्थ भी हैं जिन्हें आधार बनाकर साध्वी श्री सौम्याजी ने इस कृति की रचना की है। यह कृति भविष्य में मुनि संघ और गृहस्थ संघ दोनों के लिए मार्गदर्शक बनेगी ऐसी मेरी अपेक्षा है। इन सबके लिए साध्वीजी ने जो श्रम किया है वह निश्चित ही प्रशंसनीय एवं अनुमोदनीय है। इस ग्रन्थ के प्रकाशन से सबसे प्रमुख लाभ यह होगा कि आज जो विधिविधान संबंधी कर्मकाण्ड कुछ ही विधिकारकों के हाथ में सिमट गया है। इससे मुक्ति मिलेगी और जन साधारण भी इस दिशा में योग्य निर्देशन को प्राप्त कर सकेगा। अन्त में यही कहना चाहूँगा कि कठिन परिश्रमी साध्वी सौम्यगुणाजी पूर्वाचार्यों द्वारा रचित अनछुए विषयों को उठाकर उन पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लेखनी चलाएँ। पूर्व रचित ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद वर्तमान युग की प्राथमिक आवश्यकता है। अन्यथा हमारी अनमोल श्रुत परम्परा यूं ही विलुप्त हो जाएगी। इतनी लम्बी शोध यात्रा में साध्वी सौम्यगुणाजी जैन साहित्य के सूक्ष्मातिसूक्ष्म तथ्यों से परिचित हो चुकी हैं। दुरूह विषयों को समझने एवं उन्हें सरल रूप में प्रस्तुत करने में अब वह स्वयमेव समर्थ हैं। अतः संघ समाज को उन्हें अन्य सामाजिक कर्तव्यों से मुक्त करते हुए श्रुत संवर्धन हेतु प्रेरित करना चाहिए। सौम्यगुणाजी इसी प्रकार श्रुत सेवा में संलग्न रहे यही अभ्यर्थना । डॉ. सागरमल जैन प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर

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