Book Title: Niyamsara Author(s): Kundkundacharya, Uggar Sain Publisher: ZZZ UnknownPage 30
________________ NIYAMSARA. 18 अतिस्थूलस्थूला, स्थूलाः, स्थूलसूक्ष्माश्च, सूक्ष्मस्थूलाश्च । सूक्ष्मा, अतिसूक्ष्मा, इति धरादयो भवन्ति षड्भेदाः॥ २१ ॥ भूपर्वताद्या भणिता अतिस्थूलस्थूला इति स्कंधाः। स्थूला इति विज्ञेयाः सर्पिर्जलतैलाद्याः ॥ २२ ॥ छायातपाद्याः स्थूलेतरस्कन्धा इति विजानीहि । सूक्ष्मस्थूला इति भणिताः स्कन्धाश्चतुरक्षविषयाश्च ॥ २३॥ सूक्ष्मा भवन्ति स्कन्धप्रायोग्याः कर्मवर्गणस्य पुनः । तद्विपरीताःस्कन्धा अतिसूक्ष्मा इति प्ररूपयन्ति॥२४॥चतुष्क। 21-24. Gross-gross, gross, gross-fine, fine-gross, fine, and fine-fine are the six kinds, earth, etc. Solids like earth, stone, consist of gross-gross molecules (Liquids) like ghee, water, oil are gross. Shade, sunshine, etc., consist of gross-fine molecules. Objects of the four senses (of touch, taste, smell and hearing) are of fine-gross molecules. Karmic molecules, in the condition of being bound up with soul are fine. Those which are unlike these are of fine-fine molecules. धाउचउकस्स पुणो जं हेऊ कारणंति तं णेयो। खंधाणां अवसाणो णादव्वो कज्जपरमाण ॥ २५॥ धातुचतुष्कस्य पुनः यो हेतुः कारणमिति स ज्ञेयः। स्कन्धानामवसानो ज्ञातव्यः कार्यपरमाणुः ॥ २५ ॥ 25. That which is the cause of the four root matters (earth, water, fire and air) should be known as cause-atom. (Kárana Parmánu). The smallest possible part of a molecule should be known as effect atom (Kárya Parmánu). अत्तादि अत्तमझ अत्तंतं णेव इंदिए गेज्मं । अविभागी जं दव्वं परमाणू तं विआणाहि ॥२६॥ श्रात्माद्यात्ममध्यमात्मान्तस्तन्नैवेन्द्रियैाह्यम् । अविभागि यद्रव्यं परमाणुं तद् विजानीहि ॥ २६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96