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जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिद्ववेत्ता तत्थेव आयमइ, आयमंतं वा साइज्जइ || जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिद्ववेत्ता अइदूरे आयमा आयमंतं वा साइज्जइ || जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिद्ववेत्ता परं तिहूं नावापूराणं आयम आयमतं वा साइज || १४६ ॥
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जे भिक्खू अपारिहारिए णं पारिहारियं वएज्जा - एहि अज्जो ! तुमं च अहं च ओ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहेत्ता, तओ पच्छा पत्तेयं पत्तेयं भोक्खामो वा पाहामो वा, जो तं एवं वयह, वयंत वा साइज्जइ ॥ १४७॥ तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्ठाणं उग्घाइयं ॥ १४५ ॥ ॥ निसीहणे चउत्थो उद्देस समतो || ४ ||
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