________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसतं वा पिट्ठतं वा सोयंत वा भल्लायएण उप्पाएत्ता सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोल्लेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएंत वा साइज्जइ ॥१५॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसंतं वा पिलुतं वा सोयं वा उच्छोलेत्ता पधोवेत्ता अन्नयरेणं आलेवणजाएणं आलिंपेज्ज वा विलिंपेज्ज वा आलिंपतं वा विलिपंतं वा साइज्जइ ॥१६॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसतं वा पिटतं वा सोयंत वा उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपेत्ता विलिंपेत्ता तेल्लेण वा घएण वा वसाए वा णवणीएण वा अभंगेज्ज वा मक्खेज वा अभंगेंतं वा मक्खेत वा साइज्जइ ॥१७॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसतं वा पिट्ठतं वा सोयंतं वा उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिंपेत्ता विलिंपेत्ता अब्भंगेत्ता मक्खेत्ता अन्नयरेण धूवणजाएण धूवेज्ज वा पधूवेज्ज वा धूतं वा पधूवेंतं वा साइज्जइ ॥१८॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कसिणाई वत्थाई धरेइ धरतं वा साइज्जइ ।
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अहयाई वत्थाई धरेइ धरेतं वा साइज्जइ ॥२०॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए धोवाइ वत्थाई धरेइ धरेतं वा साइ. ज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए चित्ताई वत्थाई धरेइ धरेंत वा साइज्जइ ॥२२॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए विचित्ताई वत्थाई घरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥२३॥
जे भिक्खू माउग्गामम्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ॥२४॥
एवं तइयउद्देसे जो गमो सो चेव इहंपि मेहुणवडियाए णेयव्वो जाव जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए गामाणुगामं दुइज्जमाणे अप्पणो सीसदुवारियं करेइ करें। वा साइजइ ॥२५॥
जे भिक्खू माउन्गामस्स मेहुणवडियाए खीरं वा दहिं वा णवणीयं वा सप्पि वा गुलं वा खंडं वा सक्करं वा मच्छंडियं वा अन्नयरं वा पणीयं आहारं आहा रेइ आहरंतं वा साइज्जइ ॥२६॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयंति ॥२७॥
॥ निसीहज्झयणे छट्ठो उद्देसो समत्तो ॥
For Private and Personal Use Only