Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 519
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ द्वादशोदेशकः ॥ जे भिक्खू कोलुणवडियाए अण्णयरं तसपाणजाई तणपासरण वा मुंजपासएण वा कट्टपासएण वा चम्मपासएण वा वेत्तपासएण वा मुत्तपासएण वा रज्जुपासरण वा बंधइ बंधतं वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू कोलुणवडियाए अण्णयरं तसपाणजाई तणपासरण वा मुंजपासएण वा कट्टपासरण वा चम्मपासएण वा वेत्तपासरण वा सुत्तपासएण वा रज्जुपासएण वा बद्धे लगं मुंचइ मुंचतं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू अभिक्खणं अभिक्खणं पञ्चक्खाणं भजइ भजंतं वा साइजइ ॥३॥ जे भिक्खू परित्तकायसंजुत्तं आहारं आहारेइ आहारेतं वा साइज्जह ॥४॥ जे भिक्खू सलोमाई चम्माई धरेइ धरेतं वा साइज्जइ ॥५॥ जे भिक्खू तणपीढग वा पलालपीढगं छगणपीढगं वेत्तपीढग वा परवत्थेणोच्छन्नं अहिटेइ अहिटेत वा साइज्जइ ॥६॥ जे भिक्खू णिग्गंथीण संघार्डि अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा सिव्वावेह सिवावते वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू पुढवीकायस्स वा आउकायस्स वा अगणिकायस्स वा वाउकायस्स वा वणस्सइकायस्स वा कलमायमवि समारभइ समारभंतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्खं दूरूहइ दूरूहंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू गिहिमत्ते भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू गिहिवत्थं परिहेइ परिहतं वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्खू गिहिनिसेज्ज वाहेइ वाहेंतं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू गिहितेइच्छं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१३॥ जे भिक्खू पुरेकम्मकडेण हत्थेण वा मत्तेण वा दव्वीए वा भायणेण वा असण वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥१४॥ For Private and Personal Use Only

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