Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 523
________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ त्रयोदशो देशकः॥ जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए ठाणं वा सेज्ज वा णिसेज्ज वा णिसीहियं वा चेएइ चेएंतं वा साइजइ ॥ १॥ एवं जे भिक्खू ससणिद्धाए पुढवीए० ॥ २ ॥ जे भिक्खू ससरक्खाए पुढवीए. ॥३॥ जे भिक्खू मटियाकडाए पुढवीए० ॥ ४ ॥ जे भिक्खू वित्तमंताए पुढवीए. ॥ ५ ॥ जे भिक्खू चित्तमंताए सिलाए ॥ ६॥ जे भिक्खू चित्तमंताए लेलए ठाणं वा सेज्ज वा निसेज वा निसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥७॥ जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिय सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओस्से सउदए सउत्र्तिगपणगदगमट्टियमक्कडासंताणगंसि ठाणं वा सेज्ज वा णिसेज्ज वा णिसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥ ८ ॥ जे भिक्खू थूणसि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा दुब्बद्ध दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले ठाणं वा सेज्ज वा णिसेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू कुलियंसि वा भित्तिसि वा सिलसि वा लेलुसि वा अंतलिक्खजायंसि वा दुब्बद्धे दुणिक्खित्ते अणिकपे चलाचले ठाणं वा सेज वा निसेज्जं वा णिसीहियं वा चेएइ चेएंतं वा साइज्जइ ॥ १० ॥ जे भिक्खू खंसि वा फलिहंसि वा मंचंसि वा मंडवंसि वा मालंसि वा पासायसि वा हम्मतलंसि वा दुबद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिक्कंपे चलाचले ठाणं वा सेज वा निसेज्ज वा निसीहियं वा चेएइ चेएतं वा साइज्जइ ॥ ११ ॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा सिप्पं वा सिलोगं वा अट्ठावयं वा कक्कडगं वा वुग्गहं वा सलाह वा सलाहकहत्थयं वा सिक्खावेइ सिक्खावेंतं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा आगाढं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१३॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियं वा गारत्थियं वा फरुसं वयइ वयंतं वा साइज्जइ ॥१४॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546