Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 526
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा साइज्जइ ||६७ || जे भिक्खू संपसारियं वंद वंदन वा साइज्जइ ||६८ || जे भिक्खू संपसारियं पसंसइ पसंसंत वा साइज्जइ ॥ ६९ ॥ जे भिक्खू धाईपिंड भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥७०॥ जे भिक्खू दुईपिंडे भुंजइ भुजतं वा साइनइ ॥ ७१ ॥ जे भिक्खू निमित्तपिंड भुंज भुतं वा साइज्जइ ||७२ || जे भिक्खू आजीवियपिंडे भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ||७३ || जे भिक्खू वणीमगपिंड भुजइ भुजं वा साइज्जइ ॥ ७४ ॥ जे भिक्खू तिगिच्छपिंड भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ७५ ॥ जे भिक्खू कोहपिंडं भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ॥ ७६ ॥ जे भिक्खू माण पिंड भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ || ७७|| जे भिक्खू मायापिंड मुंज झुंजतं वा साइज्जइ ||७८ || जे भिक्खू लोभपिंडं भुजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥ ७९ ॥ जे भिक्खू विज्जापिडं भुंजइ भुजतं वा साइज्जइ ||८०|| जे भिक्खू मंतपिंड भुंजइ भुंजंत वा साइज्जइ ॥ ८१ ॥ जे भिक्खू जोगपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ || ८२|| जे भिक्खू चुण्णपिंडं भुंजइ भुंजत वा साइज्जइ ॥ ८३ ॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहाद्वाणं उग्घाइयं ॥ ८४॥ | ॥ निसीहज्झयणे तेरसमो उद्देसो समत्तो ॥ १३ ॥ ॥ चतुर्दशो देशकः ॥ जे भिक्खू पडिग किणइ किणावेइ की माहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहे पडिग्गा वा साइज्जइ ॥ १ ॥ जे भिक्खू पग्गिदं पामिच्चेइ पामिच्चावेइ पामिच्चियमाहटु दिज्जमाणं पडि - गाहे पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ||२|| जे भिक्खू पडिग्गहं परियट्टेइ परियट्टा वेइ परियट्टियमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गा पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ||३|| जे भिक्खू पडिग्गहं अच्छिज्जं अणिसिहं अभिहडमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिम्गातं वा साइज्जइ ||४|| जे भिक्खू अतिरेगपडिग्गहं गणि उद्देसिय गणि समुद्देसिय त अणापुच्छिय अणामंतिय अण्णमण्णस्स वियरइ वियरंतं वा साइज्जइ ||५|| For Private and Personal Use Only

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