Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 537
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एव एणं गमेण णावागओ जलगयस्स ० ||१८|| णावागओ पंकगयस्स० ॥ १९॥ taraओ थलग स० ||२०|| एवं जलगएणवि चत्तारि ||२४|| पंकगएणवि चत्तारि ||२८|| थलगएणवि चत्तारि ॥३२॥ जे भिक्खू वत्थं किrs किणावेइ कीयमाइस्टु दिज्जमाणं पडिग्गाहे पडिग्गातं वा साइज्जइ ॥ ३३॥ एवं उसमे उद्देसए पडिग्गहे जो गमो भणिओ सो चेव इहंपि वत्थेण णेयचो जाव जे भिक्खू वत्थनीसाए वासावासं वसइ बसंतं वा साइज्जइ, णवरं कोरणं णत्थि । ३४-९० तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारद्वाणं उग्घाइयं ॥ ९१ ॥ ॥ निसीहज्झयणे अट्ठारसमो उद्देसो समत्तो ॥ १८ ॥ ॥ एकोनविंशतितमोद्देशकः ॥ जे भिक्खू विडं किrt किणावेs की आहटु दिज्जमाणं परिग्गाह पडगावा साइज ॥१॥ जे भिक्खू विडं पामिच्चेह पामिच्चावेइ पामिच्चं आहटु दिज्जमाणं पडिगाहे पढिग्गा वा साइज्जइ ||२|| जे भिक्खू वियडं परियह परियट्टावेइ परियट्टियं आहटु दिज्जमाणं परिग्गाts डिग्गा वा साइज्जइ ||३|| जे भिक्खू अच्छेज्जं अणिसिंह अभिहर्ड आहदटु दिज्ञमाणं पडिग्गाहे पडिग्गा वा साइज्जर ||४|| जे भिक्खू गिलाणस्स अट्ठा परं तिन्हं वियडदत्तीणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहतं वा साइज्जइ ||५|| जे भिक्खू वियडं गहाय गामाणुगाणं दुइज्जइ दुइज्जतं वा साइज्जइ ||६|| जे भिक्खू वियर्ड गालेइ गालावेइ गालियं आहह्दु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिवा साइज ॥ ७॥ जे भिक्खू चउर्हि संज्ञाहिं सज्झायं करेइ करेंतं वा साइज्जइ । तं जहा - पुब्वाए संझाए, पच्छिमार संझाए, अवरण्डे, अद्धरते ॥८॥ For Private and Personal Use Only

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