Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 543
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोमासियं परिहारहाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सका. रणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया दो मांसा ॥२५॥ ____ मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउ सकारणं अहीणमइरितं तेण परं सवीसइराइया दो मासा ॥२६॥ ___सवीसइराइय दोमासिय परिहारहाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारहाणं पडि से वित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सदसराइया तिणि मासा ॥२७॥ सदसराइयं तेमासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा बीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं चत्तारि मासा ॥२८॥ चाउम्मासिय परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सवीसइराइया चत्तारि मासा ॥२९॥ सवीसइराइयं चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अगणारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं सदसराइया पंच मासा ॥३०॥ सदसराइयं पंचमासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा वीसइराइया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअहं सहेउं सकारणं अहीणमइरितं तेण परं छम्मासा ॥३१॥ छम्मासिय परिहारहाणं पटविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा पक्खिया आरोवणा आइमज्झावसाणे असहें सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं दिवइढो मासो ॥३२॥ पंचमासिंय परिहारट्ठाणं पट्ठविए अणगारे अंतरा मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोपज्जा अहावरा पविखया आरोवणा आइमज्झावसाणे सअटुं सहेउं सकारणं अहीणमइरित्तं तेण परं दिवड्ढो मासो ॥३३॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 541 542 543 544 545 546