Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 531
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६ जे भिक्खू वसुराइयं अवसुराइयं वयह वयंत वा साइज्जइ ॥११॥ जे भिक्खू अवमुराइयं वसुराइयं वयइ वयं वा साइज्जइ ॥१२॥ जे भिक्खू वसुराइयगणाओ अवमुराइयगणं संकमइ संकमंतं वा साइज्जई ॥१३॥ ।व्युद्ग्रहव्युत्क्रान्तप्रकरणम् । जे भिक्खू वुग्गहवुकताणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देह देंतं वा साइज्जइ ॥१४॥ जे भिक्खू बुग्गहवुकंताणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१५॥ जे भिक्खू वुग्गहवुकताणं वत्थं वा पडिग्गरं वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा देइ देंतं वा साइज्जइ ॥१६॥ जे भिक्खू बुग्गहवुकंताणं वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१७॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं वसहि देइ देंतं वा साइज्जइ ॥१८॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं वसहि पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥१९॥ जे भिक्खू बुग्गहवुकंताणं वसहि अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२०॥ जे भिक्खू वुग्गहवुक्कंताणं सज्झायं देइ देंतं वा सइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू बुग्गहवुक्कंताणं सज्झायं पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ ॥२२॥ इति व्युद्ग्रहव्युत्क्रान्तप्रकरणम् । जे भिक्खू विहं अणेगाहगमणिज्जं संति लाढे विहाराए संथरमाणेसु जणवएसु विहारवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइजह ॥२३॥ जे भिक्खू विरूवरूवाई दस्सुयाययणाई अणारियाई मिलक्खुइं पच्चंतियाई संति लाढे विहाराए संथरमाणेसु जणवएसु विहारवडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा सााइज्जइ ॥२४॥ । जुगुप्सितकुलपकरणम् । जे भिक्खू दुगुंछियकुलेसु असणं वा पाणं वा खाइम वा साइमं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२५॥ जे भिक्खू दुगुंछियकुलेसु वत्थं वा पडिगगह वा कंबलं वा पायपुंछणगं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२६॥ For Private and Personal Use Only

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