Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 534
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असुयाणि वा कणगकंताणि वा कणगखचियाणि वा कणगविचित्ताणि वा आभरण विचित्ताणि वा करेइ करेंतं वा साइज्जइ ||१२|| एवम् - धरेइ० ||१३|| परिभुंजइ ॥ १४ ॥ । इति कौतूहलप्रतिज्ञाकरणम् । जे निग्थे णिग्गंथस्स पाए अण्णउत्थिएण वा गारत्थिएण वा आमज्जावेज वा पमज्जावेज्ज वा आमज्जावेंत वा पमज्जावेंत वा साइज्जइ ||१५|| एवं तयउद्देसगमो भाणियव्वो जाव जे निग्गंथे निग्गंथस्स गामाणुगामं दुइज्जमाणस्स अण्णउत्थिषण वा गारस्थिपण वा सीसदुवारियं कारावेइ कारावेंतं वा साइज्जइ ॥ १६-७० ॥ एवं जे निग्ये निग्गंथीए० ॥७१ - १२६ ॥ एवं जा निग्गंथी निम्गंथस्स० ।।१२७ - १८२ ॥ एवं जा निग्गंथी निम्गंधीए० ॥ १८३-२३८ ॥ जे णिग्गंथे णिग्गंथस्स सरिसगस्स अंते ओवासे संते ओवासं न देइ न देतं बा साइज्जइ || २३९॥ जाणिग्गंथी णिग्गंथीए सरिसियाए अंते ओवासे संते ओवासं न देइ न देतं वा साइज्जइ ॥ २४० ॥ जे भिक्खू मालोहडं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दिज्जमाणं पडिग्गाts पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४९ ॥ जे भिक्खू कोद्वाउत्तं असणं वा पाणं वा खाड़मं वा साइमं वा उक्कुज्जिय णिक्कुज्जिय दिनमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहतं वा साइज्जइ ॥ २४२ ॥ 'जे भिक्खू मट्टिओलित्तं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा उभिदिय निब्भिदिय दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४३॥ जे भिक्खू असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पुढवीपइद्वियं पडिग्गाहे‍ पडिग्गा वा साइज्जइ || २४४ || एवं आउपइद्वियं ० || २४५|| ते उपइडियं० ॥ २४६ ॥ कापट्टियं ० ॥२४७॥ जे भिक्खू अच्चुसिणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा मुहेण वा सुष्पेन वा विणणेण वा तालियंटेण वा पत्तेण वा पत्तभंगेण वा साहाए वा साहाभंगेण वा पेहुणेण वा पेहुणहत्थेण वा वेलेण वा चेलकण्णेण वा हत्थेण वा फुमिता वीइता आहट्ट दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गार्हतं वा साइज्जइ ॥ २४८॥ ง For Private and Personal Use Only

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