________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अब्भुटिए गिलाणपाउग्गे दव्वजाए अलभमाणे जो तं ण पडियाइक्खइ ण पडियाइक्खंतं वा साइज्जइ ॥ ३९ ॥
__जे भिक्खू गिलाणवेयावच्चे अभुटिए सएण लाभेण असंथरमाणे जो तस्स न पडितप्पई न पडितप्पंतं वा साइज्जइ ॥ ४० ॥
जे भिक्खू पढमपाउससि गामाणुगाम दुइज्जइ दुइज्जतं वा साइज्जइ ॥४१॥
जे भिक्खू वासावासं पज्जोसवियंसि गामाणुगाम दुइज्जइ दुइज्जतं वा साइउजइ ॥४२॥
जे भिक्खू अपज्जोसवणाए पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४३ ॥ जे भिक्खू पज्जोसवणाए ण पज्जोसवेइ ण पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥४४॥
जे भिक्खू पज्जोसवणाए गोलोमाइंपि बालाई उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइज्जइ ॥४५॥
जे भिक्खू पज्जोसवणाए इत्तरियपि आहारमाहारेइ आहारेंतं वा साइज्जइ ॥४६॥
जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा पज्जोसवेइ पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ ॥ ४७ ॥
जे भिक्खू पढमसमोसरणुहेसे पत्ताई वा चीवराई वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहें वा साइज्जइ ॥ ४८॥ तं सेवमाणे आवज्जई चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं ॥ ४९ ॥
॥ निसीहायणे दसमो उद्देसो समत्तो ॥१०॥
॥ एकादशोदेशकः ॥ जे भिक्खू अयपायाणि वा तंबपायाणि वा तउपायाणि वा सीसगपायाणि वा कंसपायाणि वा रुप्पायाणि वा सुवण्णपायाणि वा जायख्वपायाणि वा मणिपायाणि वा कणगपायाणि वा दंतपायाणि वा सिंगपायाणि वा चम्मपायाणि वा चेलपायाणि वा अंकपायाणि वा संखपायाणि वा वइरपायाणि वा करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥ १ ॥
एवं धरेइ धरेंतं वा साइज्जइ ॥ २॥ एवं परिभुजइ परिभुजंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू अयबंधाणि वा जाव वइरबंधाणि वा करेइ करेंतं वा साइइज्जइ ॥ ४॥ एवं-धरेइ धरतं वा साइज्जइ ॥ ५॥ एवं परिभुजइ परिभुंजतं वा साइज्जइ ॥ ६॥ जे भिक्खू परं अद्धजोयणमेराओ पायवड़ियाए गच्छइ गच्छंतं वा साइज्जह ।।
For Private and Personal Use Only