Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 508
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा असुयाणि वा कणगकंताणि वा कणगखचियाणि वा कणगचित्ताणि वा कणगविचित्ताणि वा आभरणाणि वा आभरणचित्ताणि वा आभरणविचित्ताणि वा करेइ वा करें वा साइज ||११|| 'घरे' 'परिभुंज' ॥१२- १३॥ जे भिक्खु माग्गामस्स मेहुणवडियाए इत्थि अक्खसि वा उरंसि वा उयरंसि वासि वा गहाय संचालेइ संचालेंत वा साइज्जइ ||१४|| जे भिक्खू माउम्गामस्स मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जेत वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ||१५|| एवं तयउदे से जो गमो सो णेयव्वो जाव जे भिक्खू माउम्गामस्स मेहुणबडियाए गामाणुगामं दुइज्जमाणे अण्णमण्णस्स सीसदुवारिय करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१६-६७॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अनंतरहियाए पुढवीए णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेंत तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ॥ ६८ ॥ 'सणिद्धा पुढवीए ॥ ६९ ।। ' ससरक्खाए पुठवीए ॥ ७० ॥ 'महियाकडाए पुठवीए' ॥ ७१ ॥ 'चित्तमंताए पुठवीए' ॥ ७२ ॥ ' चितमंता सिलाए' ॥ ७३ ॥ 'चित्तताए लेलुए' 'निसीयावेज्ज' वा 'तुयद्वावेज्जा वा' ॥ ७४ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कोलावासंसि वा दारु वा जावपरट्ठिए, सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओसे सउदए सउत्तिंग - पणग-दगमट्टिय-मक्काडासंताणगंसि णिसीया वेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेंतं वा तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ॥७५॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आगंतागारेसु वा आरामागारे वा गाहाइकुलेसु वा परियावसहेसु वा णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेंतं वा तुट्टा वा साइज्जइ ॥ ७६ ॥ जे भिक्खू माउम्गामस्स मेहुणवडियाए आगंतागारे वा आरामागारे वा गाहावइकुलेसु वा परियावसहेसु वा निसीयावेत्ता वा तुयट्टावेत्ता वा असणं वा पाणं खाइमं वा साइमं अणुग्यासेज्ज वा अणुपाएज्ज वा अणुग्धासंत वा अणुपाएंत वा साइज्जइ ॥७७॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अंकसि वा पलियंसि वा निसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा निसीयावेंत वा तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ||७८ || जे भिक्खू माउम्गामस्स मेहुणवडियाए अंकंसि वा पलियंकंसि वा णिसीयावेता वा यट्टावेत्ता वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अणुग्धासेज्ज वा For Private and Personal Use Only

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