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॥ पञ्चमोदेशकः॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा ठाणं वा सेज्ज वा निसीहियं वा तुयदृणं वा चेएइ चेएंतं वा साइज्जइ ॥१॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा आलोएज्ज वा पलोएज्ज वा आलोएतं वा पलोएतं वा साइज्जइ ॥२॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ॥३॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा उच्चारपासवणं परिहवेइ परिहवेतं वा साइज्जइ ॥४॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्चा सज्झायं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥५॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलसि ठिच्चा सज्झायं उद्दिसइ उदिसतं वा साइज्जइ ॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खम्लंसि ठिच्चा सज्झायं समुदिसइ समुद्दिसंतं वा साइज्जइ ॥७॥
जे भिक्खू सनित्तरुक्खम्लंसि ठिच्चा सज्झायं अणुजाणइ अनुजाणंतं वा साइज्जइ ॥८॥
जे भिक्खू सचित्तरुक्खम्लंसि ठिच्चा सज्झायं वाएइ वाएंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू सचित्तरुक्खम्लंसि ठिच्चा सज्झायं पडिच्छइ पिडच्छंत वा साइज्जइ । जे भिक्खू सचित्तरुक्खम्लंसि ठिच्चा सज्झायं परियदृइ परियदृत वा साइज्जइ ।
जे भिक्खू अप्पणो संघाडियं अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा सागारिएण वा सिव्वावेइ वा सिवावेतं वा साइज्जइ ॥१२॥
जे भिक्खू अप्पणो संघाडीए दीहसुत्ताई करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१३॥
जे भिक्खू पिउमंदपलासयं वा पडोलपलासयं वा बिल्लपलासयं वा सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा संफाणिय-सफाणिय आहारेइ आहारेंतं वा साइ. ज्जइ ॥१४॥
जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणं जाइत्ता 'तमेव रयणि पच्चप्पिणिस्सामि'त्ति सुए पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणंत वा साइज्जइ ॥१५॥
जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणं जाइत्ता 'सुए पच्चप्पिणिस्सामि'-त्ति तमेव रयणि पच्चप्पिणइ पच्चप्पिणतं वा साइज्जइ ॥१६॥
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