________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
एवं ससणिदेण० २ ॥४१॥ ससरक्खेण ३ ॥४२॥ मट्टियासंसटेण० ४ ॥४३॥ ओसा० ५ ॥४४॥ लोण० ६ ॥४५॥ हरियाल०७ ॥४६॥ मणोसिला० ८॥४७॥ वणिय० ९ ॥४८॥ गेरुय० १० ॥४९॥ सेढिय० ११ ॥५०॥ हिंगुलुय० १२ ॥५१॥ अंजण. १३ ॥५२॥ लोद्ध० १४ ॥५३॥ कुक्कुस० १५ ॥५४॥ पिठ• १६ ॥५५।। कंद० १७ ॥५६॥ मूल० १८ ॥५७।। सिंगबेर० १९ ॥५८॥ पुप्फग० २० ॥५९॥ कुट्ठगसंसठेण वा २१, एगवीसभेएण हत्थेण वा मत्तेण वा दव्वीए वा भायणेण वा असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥६०॥
जे भिक्खू गामारक्खयं अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ ॥६१॥ एवं सो चेव रायगमओ भाणियन्बो ॥६२-६४॥
एवं देसरक्खयं० ४ ॥६८॥ एवं सीमारक्खयं०४ ॥७२॥ एवं रन्नारक्खयं०४ ॥७६॥ एवं सव्वारक्खयं० ४ ॥८॥
जे भिक्खू अण्णमण्णस्स पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा, आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ॥८१॥
एवं तइयउद्देसगमो भाणियव्वो (८२ से १३५ जाव--
जे भिक्खू गामाणुगामं दुइज्जमाणे अण्णमण्णस्स सीसवारियं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१३६॥
जे भिक्खू साणुपाए उच्चारपासवणभूमि ण पडिलेहेइ, ण पडिलेहेत वा साइज्जइ ॥१३७॥
जे भिक्खू तो उच्चारपासवणभूमीओ ण पडिलेहेइ ण पडिलेहेंतं वा साइ. ज्जइ ॥१३८॥
जे भिक्खू खुड्डागंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिहवेइ, परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥१३९॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं अविहीए परिहवेइ, परिहवेंतं वा साइज्जइ ॥१४०॥ जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता न पुंछइ, न पुंछंत वा साइज्जइ ॥१४१॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता कटेण वा किलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा पुछइ पुछतं वा साइज्जइ ॥१४२॥
जे भिक्खू उच्चारपासवणं परिहवेत्ता णायमइ, णायमंतं वा साइज्जइ ॥१४३॥
For Private and Personal Use Only