________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
15555
॥चतुर्थीदेशकः॥ जे भिक्खू रायं अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ ॥१॥ जे भिक्खू रायं अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ ॥२॥ जे भिक्खू रायं अच्छीकरेइ अच्छीकरेंतं वा साइज्जइ ॥३॥ जे भिक्खू रायं अत्थीकरेइ अत्थीकरेंतं वा साइज्जइ ॥४॥ जे भिक्खू कसिणाओ ओसहीओ आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ ॥२१॥ जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहि अदत्तं आहारेइ आहारतं वा साइज्जइ । २२॥
जे भिक्खू आयरियउवज्झाएहिं अविदिणं विगई आहारेइ आहारेंतं वा साइज्जइ ॥२३॥
जे भिक्खू ठवणकुलाई अजाणिय, अपुच्छिय, अगवेसिय पुवामेव पिंडवायपडियाए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२४॥
जे भिक्खू णिग्गंथीणं उवस्सयंसि अविहीए अणुप्पविसइ अणुप्पविसंतं वा साइज्जइ ॥२५॥
जे भिक्खू णिग्गंथीणं आगमणपहंसि दंडगं वा लट्ठियं वा रयहरणं वा मुहपत्तियं वा अण्णयरं वा उवगरणजायं ठवेइ ठवेंतं वा साइज्जइ ॥२६॥
जे भिक्खू णवाई अणुप्पण्णाई अहिगरणाई उप्पाएइ उप्याएंतं वा साइज्जइ ॥
जे भिक्खू पोराणाई अहिगरणाई खामिय-विओसमियाई पुणो उदीरेइ उदीरेतं वा साइज्जइ ॥२८॥
जे भिक्ख मुहं विष्फालिय विप्फालिय हसइ हसंतं वा साइज्जइ ॥२९॥ जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं देइ देंतं वा साइज्जइ ॥३०॥
जे भिक्खू पासत्थस्स संघाडयं पडिच्छइ पडिच्छतं वा साइज्जइ ॥३१॥ एवं-'ओसत्तस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३२-३३॥
कुसीलस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३४-३५।। णितियस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३६-३७॥ संसत्तस्स संघाडयं देइ० पडिच्छइ० ॥३८-३९॥
जे भिक्खू उदउल्लेण हत्थेण वा मत्तेण वा दब्बीए वा भायणेण वा असणं वा ४ पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥४०॥
For Private and Personal Use Only