Book Title: Nemirangratnakar Chand
Author(s): Shivlal Jesalpura
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ प्रास्ताविक सोळमी शताब्दीमां श्रयेला जैन कविओमां कवि श्री. लावण्यसमयनुं स्थान घणुं ऊंचुं छे. त्रीश जेटली कृतिओमां तेमणे गुजराती कविताना प्रबंध, रास, छन्द, संवाद, हमचडी, विनति, स्तवन, विवाहलो वगेरे विविध प्रकारो खेड्या छे अने ए द्वारा पोतानी सर्वतोमुखी प्रतिभानो परिचय कराव्यो छे. आ कृतिओमां तेमणे धर्म, समाज, कला, उत्सव, रीतरिवाज, पहेरवेश, युद्ध, विरह, मिलन वगेरे विषयो उपर मार्मिक अने वेधक प्रकाश आपतां चित्रात्मक वर्णनो आलेख्यां छे. तेमां एमना कवित्वनां, तेमज भाषा-प्रभुत्व, शब्दभंडोळ, अलंकारसौन्दर्य तथा छंद अने प्रासनी पासादार शैलीनां दर्शन थाय छे. कवि लावण्यसमय विशे श्री. कनैयालाल मुनशीए 'नरसिंहयुगना कविओ' मां अने डॉ० धीरजलाल धनजीभाई शाहे तेमना पीएच्. डी. नी पदवी माटे लखेला 'विमलप्रबंध'ना निबंधमां आपणने घणी हकीकतो जाणवा मळे छे, तेथी तेमने विशे वधु कहेवु उचित नथी. कवि लावण्यसमये 'नेमिरंगरत्नाकछन्द' नामनी आ नानी कृतिमां पण वर्ण्यविषयनी रसिक संकलना, प्रसंग चित्रो अने भावचित्रो तथा समृद्ध अलंकारो द्वारा पोतानी प्रतिभा बतावी छे अने आवेगभरी छटादार शैली अपनावी छे. कविए आ विषयतुं एक 'नेमिनाथ हमचडी' नामे काव्य रच्युं छे. बंने कृतिओनो विषय एक होवा छतां एनी रजूआतमां नवीनता जोवाय छे. क्यांय पण वर्ण्यविषय बेवडाय नहीं अने रसक्षति थाय नहीं एनी तेओ चीवट राखता होय एम पण जणाई आवे छे.. . आवी सुन्दर कृतिनुं संपादन करवानुं डॉ० जेसलपुराए पसंद' कयु ए एमनी आ विषयनी विद्वत्तानो ख्याल करावे छे. तेमणे काव्य अने भाषाना लगभग बधा विषयोनी उपोद्घातमां संक्षेपमां सारी छणावट करी छे. शब्दकोशमां एमनो ठीक ठीक परिश्रम पण वरताय छे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 122