Book Title: Nemidutam
Author(s): Vikram Kavi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 134
________________ नेमिदूतम् [ ८५ अन्वयः -- यस्याम्, वासुदेवस्य, वेश्मनि, त्रिदशपतिना, प्रीत्या, न्यस्तः; एकः, कल्पवृक्षः, पुष्पोपचयम्, अमलम्, भूषणम् सीधुहृद्यम्, गन्धद्रव्यम्, सूक्ष्ममिच्छानुकूलम्, वसननिवहम्, ( च ) सकलम्, अबलामण्डनम्, सूते । __ यस्यामिति । यस्यां वासुदेवस्य वेश्मनि हे नाथ ! यस्यां द्वारिकायां कृष्णस्य गृहे, त्रिदशपतिना प्रीत्या न्यस्तः इन्द्रेण शक्रेण वा प्रेम्णा संस्थापितः । एक: कल्पवृक्षः केवलः, एकाकीत्यर्थः, कल्पतरुः । पुष्पोपचयं अमलं भूषणं कुसुमसमूहं निर्मलम् अलंकारम् आभूषणं वा । सीधुहृद्यं गन्धद्रव्यम् आसववन्मनोहरं सुरभिवस्तुः । सूक्ष्ममिच्छानुकूलं वसननिवहं तनुतरंतन्तुनिर्मितं मनोनुकूलं वाससमूहम् । च सकलं तथा सम्पूर्णम्, चतुर्विधमपीत्यर्थः । अबलामण्डनं सूते वनिता-प्रसाधननिचयम् [ अविद्यमानं बलं यस्या सा अबला ( न० बहु० ) ते अबलानां मण्डनं अबलामण्डनम् ( १० तत्० )] उत्पादयति ( सूते-अभिषव "Vषू + लट्ल० प्र० पु. एकव० ) ॥ ७९ ॥ शब्दार्थः - यस्याम्-जिस द्वारिका में, वासुदेवस्य-कृष्ण के, वेश्मनि-गृह में, त्रिदशपतिना-इन्द्र के द्वारा, प्रीत्या-प्रेमपूर्वक, न्यस्तःरोपा गया, लगाया गया, एकः--एक, अकेला, कल्पवृक्षः-कल्पवृक्ष, (ही); पुष्पोपचयममलम् -पुष्पसमूहों से निर्मित निर्मल, भूषणम्-आभूषण, सीधुहृद्यं गन्धद्रव्यम्-गन्ने के रस की तरह सुगन्धित द्रव्य, गन्ने के रस से बनाये गये शराब की तरह सुगन्धित मद्य विशेष, सूक्ष्म मिच्छानुकूलम्-सूक्ष्म तन्तुओं से निर्मित मनोनुकूल, वसननिवहम्-वस्त्र समूह, (च-इस प्रकार ), सकलम्-सम्पूर्ण, अबलामण्डनम्-स्त्रियों के आभूषणों को, सूते-उत्पन्न करता है। अर्थः - जिस द्वारिका में कृष्ण के गृह में इन्द्र के द्वारा प्रेम से लगाया गया अकेला कल्पवृक्ष (ही ) पुष्पसमुह से निर्मित निर्मल आभूषण, गन्ने के रस से बनाये गये शराब की तरह सुगन्धित मद्यविशेष, सूक्ष्मतन्तुओं से निर्मित मनोनुकूल वस्त्रसमूह ( इस प्रकार ) स्त्रियों के सम्पूर्ण आभूषणों को उत्पन्न करता है। एणांकाश्मावनिषु शिशिरे कुंकुमार्दैः पदाङ्कः, शीतोत्कम्पाद्गतिविगलितर्वालकैः केशपाशात् । भ्रष्टः पोनस्तनपरिसराद्रोधमाल्यैश्च यस्यां, नैशो मार्गः सवितुरुदये सूच्यते कामिनीनाम् ॥१०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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