Book Title: Nemidutam
Author(s): Vikram Kavi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 185
________________ १३६ ॥ नेमिदूतम् विक्रमाख्यः - विक्रम नामक कवि ने, बुधजनमनः - सहृदयों के चित्त के, प्रीतये - आनन्द के लिए, श्रीमन्नेमेश्चरित विशदम् - श्रीमान् नेमि के चरित से निर्मल, काव्यम् — काव्य को, चक्रे — बनाया, रचना की । अर्थः सत्य अर्थ को जानने वालों में श्रेष्ठ कवि कालिदास द्वारा सुन्दर पदों से रचित 'मेघदूत' से चतुर्थ चरण को ग्रहण करके साङ्गण का पुत्र विक्रम' कवि ने सहृदयों के चित्त के आनन्द के लिए श्रीमान् नेमि के चरित को लेकर निर्मल 'नेमिदूत' काव्य को बनाया ( नेमिदूत काव्य की रचना की ) । ―― इति विक्रमकविविरचित- नेमिदूतस्य पूर्णियाँ मण्डलान्तर्गत 'सुकसेना' ग्राम-निवासिना मिश्रोपाधीरेन्द्रेण कृतया 'रेणुका' टीकया प्रसीदत धूर्जटिः । इति शम् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 183 184 185 186 187 188 189 190