Book Title: Naychakradi Sangraha
Author(s): Devsen Acharya, Bansidhar Pandit
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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हता कि दर्शनसार और भावसंग्रह दोनोंके कर्ता एक ही देवसेन
___ इनके सिवाय आराधनासार (१) और तत्त्वसार [२] नामके ग्रंथ भी इन्ही देवसेनके बनाये हुए हैं।
पं. शिवजीलालने इनके 'धर्मसंग्रह ' नामके एक और ग्रंथका उल्लेख किया है; परंतु वह अभीतक हमारे देखनेमें नहीं भाया है।
मुद्रण। स्वनामधन्य स्वर्गीय पंडित गोपालदासजीने चार पांच वर्ष पहले इस ग्रंथके प्रकाशित कराने की इच्छा प्रकट की थी। उन्होंने अपने शिष्य पं. वंशीधरजीसे इसकी [ द्रव्यस्वभाव प्रकाशकी ) एक प्रेस कापी भी संस्कृत छायासहित तैयार करके भेज दी थी, परंतु उसमें जगह जगह पाठ छूटे हुए थे और अ. नेक स्थल सन्देहास्पद भी थे । इसलिए जबतक दूसरी शुद्ध प्रति प्राप्त न हो गई, तब तक यह न छप सका। इसके बाद इसकी कुछ प्रतियां मिलगई और अब उनकी सहायतासे मुद्रीत क. राके प्रकाशित किया जाता है। नीचे लिखी प्रतियोंसे इसका संशोधन हुआ है:
१ माणिकचंद ग्रंथमालाका छटा ग्रंथ । भीरत्ननन्दि आचार्यकृत कासहित छपा है। २ मा. मं० मालाके १३ वे अंकमें यह छप चुका है।