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४. प्रमाण व नय
५१ २ अखडित व खडित ज्ञान का अर्थ
अखडित चित्र को खडित करके धारा का रूप दिया जाता है । फिर बिजली के रूप में परिवर्तित किया जाता है, और वह बिजली की धारा आपकी तरफ फेक दी जाती है । स्टेशन का काम समाप्त हो गया आपके घर पर रखा टेलीविजन सैट उस बिजली की धारा को ग्रहण करता है । धारारूप बिजली को चित्र में परिवर्तित करता है, और फिर सक्रीन पर उस धारा को एक अखडित रूप देकर एक अक्रम वास्तविक चित्र बना देता है, जो बिल्कुल उस मूल चित्र के अनुरूप होता है, जिसके आधार पर कि वह बिजली की धारा बनाई गई थी । यदि उसके अनुरूप न हो तो इस चित्र को सच्चा नही कहा जा सकता । भौतिक 'विज्ञान मे तो कभी भी ऐसी भूल नही हो पाती कि धारा पर से बनाया गया वह चित्र मूल 'चित्र के अनुरूप न हो सके, पर चेत्न विज्ञान मे भूल हो जाती है क्योंकि यहां बुद्धि का प्रयोग है । यहा ज्ञान के साथ साथ व्यक्ति की अपनी रूचि व विश्वास भी काम कर रहे है ।
प्रश्न है कि चित्र को धारा और धारा से पुनः अखड चित्र बना देने की वह प्रक्रिया क्या है ? सो यदि यहा कोई इस बेतार के विज्ञान ( Wireless scince ) से परिचित व्यक्ति बैठा हो तो तुरन्त मेरा आशय समझ जायेगा, पर आप सब तो उसे न समझ सकेंगे, इसलिये इसी दृष्टात को और सरल बना कर आपके सामने लाता हूँ | याद रहे कि दृष्टात किसी अभिप्राय को समझाने के लिये दिया जाता है, दृष्टांत पढने के लिये नही । अत दृष्टात मे समझाये गये चित्र की धारा व धारा पर से चित्र निर्माण के क्रम से आप उसी प्रकृत को पढने का प्रयत्न करना, कि खडित या धारारूप ज्ञान और अखडित चित्ररूप ज्ञान किसे कहते है, इन दोनों में क्या अन्तर है तथा बिना चित्ररूप ज्ञान के वह शाब्दिक धारारूप ज्ञान क्यो झूठा व निरर्थक बताया जाता है।
देखिए यह एक चन्द्रमा का चित्र मैने ब्लेक बोर्ड पर खेचा । आप सब देख रहे है इसे । अब में कहता हूँ कि इसे धारा रूप चित्र बनाइये,