________________
|| मोक्षत नवद्वारस्वरूपम् ॥
[२८७]
विस्तरार्थः - हये मोक्षवना जे नव भेद के ते ९ अनुयोगद्वार कहेबाय छे. ए ९ द्वार फक्त मोक्षने अंगे छे, एम नहि पण दरेक पदार्थने अंगे ए ९ द्वार अवतारी शकाय छे. ते ९ द्वारतुं स्वरुप आ प्रमाणे
·
१ सम्पदप्ररूपणाद्वार - कोइ पण पद (-शब्द ) वाळो पदार्थ (भाव) सतु (विद्यमान ) छे के असत छे ? अर्थात ते पदार्थ जगतमां छे के नहि ? तेनी जे साबिती आपवी ते सत्पदप्ररूपणा,
२ द्रव्यमाणद्वार - ते पदार्थ जगदम केटला ? तेनी संख्या दर्शाववी ते द्रव्यप्रमाणद्वार.
• क्षेत्रद्वार - ते पदार्थ ( तेमांनो एक वा अनेक पदार्थ ) दुfarai केटली जग्या रोकीने रह्यो छे ? एम जे दर्शावकुं ते क्षेद्वार अर्थात् अवगाहनाद्वार.
४ स्पर्शनाद्वार - पुनः ते पदार्थ जे क्षेत्रमां ( जग्यामां ) रह्यो ते क्षेत्रमा जेटला आकाश प्रदेशो छे तेटलाज स्पर्शीने रहेल छे के तेथी अधिक ? एम दर्शाव ते स्पर्शनाद्वार. अहिं एक अणु (परमाणु) कमीमां कमी ७ आकाश प्रदेशने ( १ पोतानामां अवगाहेलो, ने बीजा ६ दिशिना ६ प्रदेशने ) स्पर्शे छे. परन्तु अ. वगाहना एक आकाश प्रदेशनी छे, ए प्रमाणे अवगाहना अने स्पर्शनामां तफावत छे, अर्थात् अवगाहनाथी ( क्षेत्रद्वारथी ) स्पना अधिक होय छे.
५ कोळवार - ते पदार्थनी स्थिति (टकाव ) केटलाक कोपर्यन्तनी के ? एम दर्शावतुं ते काळद्वार.
६ अन्तरद्वार — जे पदार्थ जे रुपे छे ते पदार्थ मटीने बीजारूपे थइ पुन: ते ( असलना ) रूपे थाय के नहि ? अने