Book Title: Navtattva Vistararth
Author(s): Jain Granth Prakashak Sabha
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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ॐ
॥ आँ अहं नमः ||
नमः श्रीतपोगच्छाधिराजेभ्यः सूरिचक्रसर्वभौमेभ्यः श्रीविजयनेमिसूरिभ्यः ॥
॥ प्रक्षिप्तगाथापरिकरितं ॥
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॥ श्रीनवतत्त्वप्रकरणम् ॥
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॥ मूलमात्रम् ||
जीवाऽजीवा पुन्नं, पावासवसंवरो अ निज्जरणा || बंधो मुषखो अ तहा, नव तत्ता हुंति नायव्वा ॥ १ ॥ चउदस चउदस बाया - लीसा बासीय हुंति बायाला सत्तावन्नं बारस, उ नव भेया कमेणेसिं ॥ २ ॥
( rafar दुहि तिविहा, चउविहा पंचछविहा जीवा । चेपण तस इवरेहिं, वे गइ करण काहिं १॥ ) ॥ ३ ॥
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