Book Title: Nandanvan Kalpataru 2011 12 SrNo 27
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 8
________________ ॥ श्रीगौडीपार्श्वनाथस्तोत्रम् ॥ स्व. प्रवर्तकमुनिश्रीयशोविजयः (स्रग्धराच्छन्दः) लोकालोकप्रसारोद्भवभवनलयाक्रान्तकान्तार्थपञ्जानेकान्तत्वप्रबोधाकुरजननपटुस्फीतवाग्बीजहेतुम् ॥ रतोष्ये सेन्द्रामरालिप्रथितमधुरिमोद्गारवाग्दोषमुक्ता मुक्तार्थस्तोत्रसार्थानुगतगुणगणं पार्श्वगौडीशमाप्तम् ॥१॥ (शार्दूलविक्रीडितम्) वाचा निर्मलया सुधामधुरया शिक्षाक्रमप्राप्तया शुद्धान्तःकरणेन शुद्धवपुषा मू ऽवनम्रेण च ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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