Book Title: Nandanvan Kalpataru 2011 12 SrNo 27
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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काव्यानुवादः
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भावना
ज्यां सुधी
हवानी लहेरखीओनो स्पर्श मारा जुल्फोमां
संपूर्णपणे अनुभवी शकुं छं
अने
सूर्यने पांदडाओ पर
प्रखरताथी चमकतो जोई शकुं छं
त्यां सुधी हुं वधु कांई नहीं मांगुं.
विधाता मने
बेखबरीनी आवी क्षणोमांथी पसार थती रोमांचक जिंदगीथी बहेतर बीजं शुं आपी शकत ?
४४
(मूलम् पोर्तुगिझकविः फरनान्डो पेसोआ गूर्जरानुवाद: भारती राणे)
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