Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal
________________ [69-24] लक्षनमस्कारगुणनविधिः॥ (1) मूलनायकस्य स्नानं कृत्वा पूजा क्रियते। ततः पञ्चशक्रस्तवैर्देवा वन्द्यन्ते। ततः पञ्चपरमेश्वराराधनाथ 24 लोगस्स-कायोत्सर्ग कृत्वा पञ्चपरमेष्टिप्रतिमा मण्ड्यन्ते / ततो वासकप्पूरादिभिः पूजा विधीयते / ततो नमस्कारान् गणयद्भिः पश्चपरमेष्ठिपञ्चवर्णाश्चित्ते चिन्त्यन्ते / यथा ससिधवला अरहंता, रत्ता सिद्धा य सूरिणो कणगं / मरगयभा उवज्झाया, सामा साहू सुहं दितु॥' ततो नमस्कारं नमस्कारं प्रतिदेवस्य तिलकपुष्पारोपणवासक्षेपधूपोद्गाहनप्रदीपाखण्डकाक्षतोपढौकनवन्दनानि क्रियन्ते। सहस्रे संपूर्णे सति पूगीफलोपढौकनपूर्व च तिसृभिः स्तुतिभिर्देवा बन्धन्ते, 10 सन्ध्यायां च यदा गुणनमुच्यते तदा पञ्चशकस्तवैर्देवा वन्दनीयाः पञ्चपरमेष्ठयाराधनाथ 24 लोगस्सकायोत्सर्गश्च कर्तव्यः / मोचने चापि / आसातना हुई ते सवि हुं मन-वचन-काया करी मिच्छा० (मिच्छामि दुक्कड)। निर्विकृतिकाचाम्लोपवासादितपः क्रियते / स्त्रीसंघट्टादिकं वर्जनीयम् / इति लक्षनमस्कारगुणनविधिः॥ यो लक्षं जिनबद्धलक्षसुमनाः सुव्यक्तवर्णक्रमः, 15 'श्रद्धावान् विजितेन्द्रियो भवहरं मन्त्र जपेच्छावकः। पुष्पैः श्वेतसुगन्धिभिश्च विधिना लक्षप्रमाणर्जिनं, यः संपूजयति स्म विश्वमहितः श्रीतीर्थराजो भवेत् // [इति] लक्षनमस्कारगणनफलम् // लक्ष नउकार जापविधि // प्रभाति मूलनायकरहई स्नात्र करी पूजा करी पंच शकस्तव देव वांदीइ / पछइ पंचपरमेष्ठिआराधनार्थ चउवीस लोगस्स काउस्सग्ग कीजइ। पछइ पंचपरमेष्ठि पांच प्रतिमा मांडी, पूजा वास कपूरई करी कीजइ / नउकार गुणतां पंच परमेष्ठिना पांच वर्ण चीतवीइं / यथा-अरिहंत धवलवर्ण, सिद्ध रक्तवर्ण, आचार्य सुवर्णवर्ण, उपाध्याय नीलवर्ण, महात्मा श्यामवर्ण / ए पांचे वर्णे हीआमाहि चीतवीइ / नउकार गुणतां नउकारि नउकारि देव रहिइं टीली कीजइ, फल चडावीइ, वासक्षेप कीजइ, धूप ऊगाहीइं दीवउ कीजइ, चोखउ ढोईइ। जेती कीजइ सहस्र पूरइ हुइ / सोपारी ढोईइ, देव वांदीइं। सांझइं गुणवउं। मूंकतां पंचशकस्तवे देव वांदीइं / पंचपरमेष्ठि आराधनार्थ चउवीस लोगस्स काउस्सग्ग कीजइ, मूक्तां 'अविधि आशातना हुई ते सवि हं मनि वचनि काय करी मिच्छामि दुक्कडं / ' यथाशक्ति निवी, आंबिल, उपवास तप करिवउ। पुरषइं स्त्रीसंघट्ट वर्जिवउ। ए नउकार लाख गुणइ जिको विधिपूर्वक
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