Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 322
________________ 266 [संस्कृत नमस्कार स्वाध्याय नमः सम्पतदेवलोकान्तिकाय, नमस्तैः स्तुताधिद्वयोपान्तिकाय / नमो ज्ञाततीर्थप्रवृत्यर्थनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 47 // नमो निश्चितात्मीयदीक्षाक्षणाय, नमो ज्ञानशुद्धोपयोगेक्षणाय। नमस्ते निरीहाय वीतस्पृहाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 48 // . नमस्ते कृतज्ञातिवर्गार्हणाय, नमः प्रीणितैतत्कृतोद्व्हणाय / नमस्तेऽर्पितस्वापतेयाय तेभ्यो, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 49 // नमो दत्तसांवत्सरोत्सर्जनाय, नमो विश्वदारिद्यनिस्तर्जनाय / नमस्ते कृतार्थी-कृतार्थिबजाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 50 // नमः प्रत्यहं कारितोद्घोषणाय, नमो भो वृणीतेति लोकम्पृणाय / नमो दानवीराधिवीरोद्धराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 51 // नमस्तेऽर्पितानेकगद्गजाय, नमस्तेर्पितानेकवाहबजाय / नमस्ते समुत्तानदानध्वजाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 52 // जेमनी पासे लोकान्तिक देवो मेगा थईने आव्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ। तेओए चरणद्वय पासे आवीने जेमनी स्तुति करी छे एवा आपने नमस्कार थाओ। तीर्थप्रवर्तननी प्रार्थनाने 15 जाणनारा एवा आपने नमस्कार थाओ। // 47 // पोताना दीक्षा समयने निश्चित करनारा आपने नमस्कार थाओ। ज्ञानरूप शुद्ध उपयोग वडे जोता एवा आपने नमस्कार थाओ; निरीह अने निःस्पृह एवा आपने नमस्कार थाओ // 48 // ज्ञातिवर्गनो धनदानादि वडे सत्कार करता एवा आपने नमस्कार थाओ। प्रसन्न थयेला ज्ञातिवर्गे प्रशंसा करी छे एवा आपने नमस्कार थाओ; स्वजनोने संपत्तिनो योग्य भाग आपता एवा 20 आपने नमस्कार थाओ // 49 // सांवत्सरिक दानने आपनारा एवा आपने नमस्कार थाओ। विश्वना दारिद्र्यनी निस्तर्जना (दारियने दूर) करनारा आपने नमस्कार थाओ। अर्थिवर्गने कृतार्थ (संतुष्ट) करनारा आपने नमस्कार थाओ // 50 // दररोज दाननी उद्घोषणा करावनार आपने नमस्कार थाओ। 'हे लोको ! मागो ! मागो' वगेरे 25 कहेवा वडे जगतने आनंद आपनार आपने नमस्कार थाओ; दानवीरोमां श्रेष्ठमां श्रेष्ठ एवा आपने नमस्कार थाओ // 51 // गर्जना करता अनेक हाथीओ दानमां आपनार आपने नमस्कार थाओ। अश्वोना अनेक समूहो दानमां आपनार आपने नमस्कार थाओ। जेमना दाननो ध्वज सर्वत्र ऊंचे फरकी रह्यो छे एवा आपने नमस्कार थाओ॥५२॥

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