Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 335
________________ 272 5 विभाग] जिनसहस्रनामस्तोत्रम् नमोऽनागतोत्सर्पिणीकालभोगे, चतुर्विशतावेष्यदार्हन्त्यशक्त्यै / नमः स्वामिने पद्मनाभादिनाम्ने, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 125 // दशस्वप्यवं नमः कर्मभूषु, चतुर्विशतौ ते नमोऽनन्तमूौँ / नमोऽध्यक्षमूत्यै विदेहावनीषु, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 126 // नमस्ते प्रभो ! स्वामिसीमन्धराय, नमस्तेऽधुनाईन्त्यलक्ष्मीवराय / नमः प्राग्विदेहावनीमण्डनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 127 // नमस्तेऽधुना दृग्विदेहोद्गताय, नमस्ते दशद्वैतदेवाद्भुताय / नमः सन्ततप्रातिहार्याष्टकाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 128 // नमो भूर्सवः स्वस्त्रयीशाश्वताय, नमस्ते त्रिलोकीस्थिरस्थापनाय / नमो देवमासुराम्यर्चिताय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 129 // नमः स्वर्विमानेषु देवार्चिताय, नमो ज्योतिष्केष्विन्दुसर्यैर्नताय / नमोऽथापि नम्रासुरव्यन्तराय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 130 // 10 अनागत (आवता) उत्सर्पिणी काळ संबंधी चोवीशीमां आर्हन्य (अरिहंतपणु) रूप शक्तिने धारण करनारा श्रीपद्मनाभादि नामवाळा श्री जिनेश्वरोने नमस्कार थाओ // 125 // - एज प्रमाणे दशे कर्मभूमि (पांच भरत अने पांच ऐरवत) मां नी चोवीशीओमां अनंत मूर्तिरूप 15 आपने नमस्कार थाओ। महाविदेहनी भूमिओमां अध्यक्ष (प्रत्यक्ष) मूर्तिवाळा विहरमान तीर्थंकरोने नमस्कार / थाओ // 126 // विरहमान तीर्थंकर श्रीसीमंधरस्वामिरूप हे प्रभो ! आपने नमस्कार थाओ। अत्यारे अहंतपणानी लक्ष्मीना स्वामी एवा हे श्रीसीमंधर प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। पूर्व महाविदेहनी भूमिना मंडन हे सीमंधर प्रभो! आपने नमस्कार थाओ // 127 // 20 अत्यारे प्रत्यक्षपणे बन्ने बाजुना विदेहोमां रहेला वीश अद्भुत तीर्थंकररूप आपने नमस्कार थाओ। सदा (सुंदर) अष्ट महाप्रातिहार्य सहित एवा आपने नमस्कार थाओ // 128 // वर्ग, मर्त्य ने पाताळ रूप त्रणे लोकमां शाश्वत एवा आपने नमस्कार थाओ। त्रणे लोकमां स्थिर छे स्थापना जेमनी एवा आपने (शाश्वत स्थापना जिनोने) नमस्कार थाओ। मनुष्यो, देवो अने असुरोथी अर्चित एवा आपने नमस्कार थाओ // 129 // खर्गलोकना विमानोमां देवोथी पूजित एवा आपने नमस्कार थाओ। ज्योतिष्क विमानोमां सूर्यदो अने चन्द्रेन्द्रोवडे नमस्कार कराता आपने नमस्कार थाओ। असुरो (भवनपति देवो) अने व्यंतरो वडे नमस्कार कराता आपने नमस्कार थाओ // 130 // 25

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