Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal
________________ ___273 273 विभाग) जिनसहस्रनामस्तोत्रम् नमो दूरनष्टेतिवैरज्वराय, नमो नष्टदुर्वृष्टिरुग्विड्वराय / नमो नष्टसर्वप्रजोपद्रवाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते / / 89 // नमो धर्मचक्रवसत्तामसाय, नमः केतुहृष्यत्सुदृग्मानसाय / नमो व्योमसञ्चारिसिंहासनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 9 // नमश्चामरैरष्टभिर्वीजिताय, नमः स्वर्णपद्माहिताधिद्वयाय / (नमो नाथ ! छत्रत्रयेणान्विताय), नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 91 // नमोऽधोमुखाग्रीभवत्कण्टकाय, नमो ध्वस्तकारिनिष्कण्टकाय / नमस्तेऽभितो नम्रमार्गदुमाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 92 // नमस्तेऽनुकूलीभवन्मारुताय, नमस्ते सुखाकृद्विहायोरुताय / नमस्तेऽम्बुसिक्ताभितो योजनाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 93 // नमो योजनाजानुपुष्पोचयाय, नमोऽवस्थितश्मश्रुकेशादिकाय। नमस्ते सुपञ्चेन्द्रियार्थोदयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 94 // 10 जेमनां संनिधानना कारणे इति, जातिवैर अने ज्वरो दूर नासी गया छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनां संनिधानथी भयंकर वृष्टि, व्याधि अने अपशब्दो नाश पाम्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ / जेमनां संनिधानथी प्रजाना सर्व उपद्रवो नाश पाम्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 89 // 15 जेमनां धर्मचक्र (ना प्रकाश) वडे अंधकार त्रास पाम्यो छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमना धर्मध्वजने जोवाथी सुदृष्टि जीवोनां मन हर्ष पाम्यां छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनी साथे सिंहासन ..पण आकाशमां चाले छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 9 // आठ चामर वडे वीझाता आपने नमस्कार थाओ। स्वर्णकमळ उपर चरणद्वयने मूकनारा आपने नमस्कार थाओ। (हे नाथ ! छत्रत्रयथी सहित एवा आपने नमस्कार थाओ ) // 91 // 20 ___ जेमनां मार्गमांना कांटाओ अधोमुख थई जाय छे एवा आपने नमस्कार थाओ। कर्मशत्रुनो नाश करवाथी निष्कंटक थयेला आपने नमस्कार थाओ। जेमनी आजुबाजुना मार्गवृक्षो नमी रह्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 92 // जेमनां संनिधानमां पवन अनुकूल वाय छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनां संनिधानमां पक्षिओ मधुर ध्वनि करी रह्या छे एवा आपने नमस्कार थाओ। जेमनी आजुबाजु एक योजनमा सुगंधी 25 जलनो छंटकाव थाय छे एवा आपने नमस्कार थाओ // 93 // ... जेमना एक योजन प्रमाण समवसरणमा जानु पर्यंत पुष्पोनो समुच्चय (ढगलो) थाय छे एवा आपने नमस्कार थाओ; जेमना मस्तकना अने दाढी मूछना केश वगेरे अवस्थित रहे छे (दीक्षा लीधा * पछी वधता नथी) एवा आपने नमस्कार थाओ। पांचे इन्द्रियोने अनुकूल विषयोनी प्राप्तिवाळा आपने नमस्कार थाओ // 94 // 30
Page Navigation
1 ... 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398