Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 314
________________ [73-28] महामहोपाध्यायश्रीविनयविजयगणिविरचितम् - श्रीजिनसहस्रनामस्तोत्रम् नमस्ते समस्तेप्सितार्थप्रदाय, नमस्ते महार्हत्यलक्ष्मीप्रदाय / नमस्ते चिदानन्दतेजोमयाय, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 1 // नमस्ते जगन्नाथ ! विश्वकनेतः!, नमस्ते महामोहमल्लैकजेतः!। नमस्ते सतां मोक्षशिक्षाविनेतः1, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 2 // नमस्ते जिनेन्द्र! प्रभो! वीतराग!, नमस्ते स्वयम्भो! जगद्गन्धनाग! / नमस्ते स्फुरज्ज्ञानजाग्रद्विराग!, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 3 // . नमस्ते जगजन्तुजीवातुजन्म !, नमस्ते प्रभो! भाग्यलभ्याङ्घ्रिपद्म!। नमस्ते लसत्सत्यसन्तोषसद्म!, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते // 4 // 10 अनुवाद सर्व कामित अर्थाने आपनार आपने नमस्कार थाओ। महान् आर्हत्यलक्ष्मी-अरिहंत पदने आपनार आपने नमस्कार थाओ। अनंत ज्ञान, अनंत सुख अने अनंत वीर्यमय एवा आपने नमस्कार 15 थाओ। *आपने नमस्कार थाओ! आपने नमस्कार थाओ! आपने नमस्कार थाओ! आपने नमस्कार थाओ! // 1 // / जगत्ना नाथ! विश्वना परम नेता! आपने नमस्कार थाओ। महामोहरूप मल्लना श्रेष्ठ विजेता! आपने नमस्कार थाओ। सज्जनोने मोक्षनी शिक्षा (मोक्षमार्ग) आपनार! आपने नमस्कार थाओ // 2 // __जिनेन्द्र ! प्रभो (सर्व प्रकारे समर्थ)! वीतराग (रागद्वेष रहित)! आपने नमस्कार थाओ। 20 हे स्वयंभू (विशिष्ट प्रकारना तथाभव्यत्वथी स्वयं तीर्थकर थयेला)! हे जगद्गंधनाग (जगतमां गंधहस्तीसमान, अन्य वादिओरूप हाथीओना मदनो नाश करनारा)! आपने नमस्कार थाओ! निर्मल ज्ञान अने निश्चल वैराग्यवाळा आपने नमस्कार थाओ // 3 // ___ जगतना जंतुओने (षट्कायना प्राणीओने) जीवाडवा माटे (अभयदान आपनार अने अपावनार) जन्म लेनारा, हे प्रभो ! आपने नमस्कार थाओ। परम भाग्योदयथी ज प्राप्य छे चरणकमळ जेमना एवा 25 हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ। सुंदर सत्य अने संतोषना निकेतन हे प्रभो! आपने नमस्कार थाओ // 4 // * दरेक छंदना चोथा चरणनो अर्थ आ मुजब समजवो /

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