Book Title: Nalayanam
Author(s): Yashovijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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________________ हा-III AISHIGATIATI NIFII ISFle इह मे मुख्यदासीत्वं न तावत् कश्चिदर्हति / युष्मदासेन संसक्ता यावदायाम्यहं पुनः केशिन्यथ स्वयं दत्त्वा दम्पत्योर्विजयाशिषम् / उत्पपात बलबीवं पश्यन्ती केशिनी भुवम् क्षणेन प्राप्य वैताढ्यं वेगेन जितवायुना / ददर्श स्वजनान् सर्वान् पितृश्वसुरवर्गयोः सर्वेषां पश्यतां तेषां हर्षाश्रुकणवर्षिणाम् / दत्त्वा गारुत्मतं वेषं निर्विषं विदधे पतिम् विषोपरागनिर्मुक्त तस्मिन् शीतयुताविव / उत्सवः कोऽप्यभूदुच्चैरन्तनगरमद्भुतः पृच्छयमाना च सा पत्या शृङ्गारप्राप्तिविस्तरम् / सर्वेषां शृण्वतां सर्व यथातथमचीकथन विद्याधरसुतः श्रीमान् सुकृतज्ञो महाबलः / वीरश्चचाल तत्कालं नलसेवासमुत्सुकः पिता च श्वसुरश्चैव ज्ञातयः स्वस्य चापरे। वीरसेनसुतं द्रष्टुं सौहृदाय प्रतस्थिरे विकसितकनकारविन्दवृन्दद्युतिजितचण्डमरीचिभिर्विमानैः / द्रुततरमपि कुण्डिनं प्रपेदे तदथ नभश्चरराजचक्रवालम् विद्याधरेश्वरसमूहसमागमं द्राक् तं केशिनी स्वयमुपेत्य शशंस पूर्वम् / उत्कण्ठितः सकलराजकमध्यवर्ती तस्थौ नलोऽपि हि समाजयितुं सभायाम् तत्राययौ सपदि सोऽपि सपत्नहन्ता मन्त्रीश्वरः श्रुतनिधिः श्रुतशीलनामा / शक्तित्रयेण कलितो नृपतिर्विरेजे वीरः स तक्षक इव स्वफणात्रयेण // 41 // // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // // 48 // // 49 // // 50 // // 51 //

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